संज्ञा किसे कहते है ? और संज्ञा के भेद :: हिंदी भाषा मे सबसे शुरुआती टॉपिक की बात की जाए तो वह संज्ञा हित हैं। इसीलिए हिंदीवानी आज संज्ञा किसे कहते है ? और संज्ञा के भेद। आज हम सभी इस विषय मे विस्तृत प्राप्त करेंगे। हम यह भी जानने का प्रयास करेंगे कि संज्ञा के भेद कितने है। और साथ ही साथ एक संज्ञा का दूसरी संज्ञा के स्थान पर प्रयोग के बारे में भी जानेगे। तो ऐगे शुरू करते हैं।
संज्ञा किसे कहते है ? और संज्ञा के भेद

संज्ञा किसे कहते है ?
संज्ञा हो हम नाम भी कह सकते है। किसी व्यक्ति वस्तु स्थान भाव आदि का नाम उसकी संज्ञा कहलाती हैं। अन्य शब्दो मे कहे तो किसी का नाम ही संज्ञा हैं। सरल शब्दों में यदि संज्ञा की परिभाषा दी जाए तो ऐसे शब्द जिनसे किसी वस्तु , स्थान ,व्यक्ति आदि का बोध होता हैं। उसे संज्ञा कहते है। संज्ञा की भाषा मे बहुत ही उपयोगिता हैं। यदि संज्ञा नही होती हैं। तो किसी वस्तु की पहचान अधूरी रहती हैं। और भाषा के प्रयोग में संज्ञा बहुत ही जरूरी हैं।
जैसे – व्यक्तियों के नाम में संज्ञा – रमेश सुरेश ,अमिताभ बच्चन , जवाहर लाल नेहरू।
स्थान के नाम में – आगरा, हिमाचल प्रदेश , पंजाब , राजस्थान।
प्राणी के नाम मे – तितली , हाथी , गधा , घोड़ा आदि।
वस्तु के नाम मे संज्ञा – पंखा , झाड़ू , स्याही , साबुन आदि
गुणों के नाम मे संज्ञा – ईमानदारी , सच्चाई , परोपकार आदि।
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संज्ञा के प्रकार –
संज्ञा के निम्नलिखित प्रकार होते है।
1.व्युत्पत्ति के आधार पर संज्ञा के प्रकार –
- रूढ़ – गंगा , यमुना
- यौगिक – पनघट, पाठशाला
- योगरूढ़ – जलज
2.अर्थ के आधार पर संज्ञा के पांच प्रकार होते है।
- व्यक्तिवाचक संज्ञा।
- जातिवाचक संज्ञा।
- द्रव्यवाचक संज्ञा।
- समूहवाचक संज्ञा।
- भाववाचक संज्ञा।
व्यक्तिवाचक संज्ञा –
ऐसी संज्ञा जिससे किसी व्यक्ति , वस्तु या स्थान का बोध होता हैं। उसे हम व्यक्तिवाचक संज्ञा के नाम से जानते है।
जैसे – श्याम , आगरा , यमुना , शीतल , तोता आदि ।
जातिवाचक संज्ञा
ऐसी संज्ञा जो किसी जाति का बोध कराती हैं। उसे हम जाती वाचक संज्ञा कहते है।
जैसे – नदी , पर्वत , लड़की आदि
यहां पर नदी के अंतर्गत कई प्रकार की नदियां आती हैं। जिस वजह से यहां पर गंगा ,यमुना , सरस्वती , सभी प्रकार की नदियां इसके अंतर्गत आती हैं। इस वजह से नदी में जाति वाचक संज्ञा होगी।
द्रव्यवाचक संज्ञा –
ऐसी संज्ञा जिससे किसी ऐसे पदार्थ का बोध हो। जिससे वह वस्तु बनी हो। उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है।
जैसे – सोना ,चांदी ,तेल ,घी, धुवा , ऑक्सीजन आदि।
समूहवाचक संज्ञा –
ऐसी संज्ञा जो किसी समूह आदि का बोध कराए उसे हम समूहवाचक संज्ञा के नाम से जानते है।
जैसे – टीम, समिति , सभा, आयोग , परिवार , सेना , अधिकारी , कर्मचारी ,फ़िल्म आदि।
भाववाचक संज्ञा –
ऐसी संज्ञा जिससे भाव , गुण और दशा का बोध हो । उसे भाववाचक संज्ञा के नाम से जाना जाता हैं।
जैसे – क्रोध ,हसना , मिठास आदि।
संज्ञा का विशिष्ट प्रयोग –
कभी कभी क्या होता हैं। जिस संज्ञा का बोध उस वाक्य में हो रहा होता हैं। वहां पर वह संज्ञा न होकर दूसरी संज्ञा होती हैं।
व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा के रूप में
जैसे -आज के समय मे ” हरिश्चंद्र ” की कमी नही हैं।
यहां पर हरिश्चंद्र शब्द प्रयोग किसी व्यक्ति की पहचान की जगह जाती की पहचान हेतु किया गया हैं।
जाति वाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप प्रयोग –
कभी कभी जाति वाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में भी प्रयोग कर दिया जाता हैं।
जैसे – गोस्वामी जी ने रामचरितमानस की रचना की।
यहां पर गोस्वामी शब्द किसी जाति का नाम न होकर गोस्वामी तुलसीदास जी का नाम हैं। जिस वझ से यह व्यक्तिवाचक संज्ञा का बोध हो रहा हैं।
आशा हैं कि हमारे द्वारा दी गयी संज्ञा किसे कहते है ? और संज्ञा के भेद आपको पसंद आई होगी। यदि संज्ञा किसे कहते है ? और संज्ञा के भेद जानकारी आपको पसन्द आई हो तो इसे अपने दोस्तों से जरूर शेयर करे।
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