सम्प्रेषण का अर्थ और परिभाषा(Meaning and definition of communication in hindi) : संप्रेषण शिक्षण के लिए काफी आवश्यक तत्व है। सम्प्रेषण के बिना शिक्षण कार्य संभव नहीं है संप्रेषण के माध्यम से ही व्यक्ति अपनी बातों एवं विचारों, अभिव्यक्तियों को एक दूसरे से साझा कर पाते हैं । आज hindivaani इस आर्टिकल के सम्प्रेषण का अर्थ ,सम्प्रेषण की परिभाषा , सम्प्रेषण के प्रकार, सम्प्रेषण के सिद्धांत , सम्प्रेषण को प्रभावित करने वाले कारक आदि के बारे में जनाकारी प्रदान करेगा। तो आइए शुरू करते हैं पढ़ना – सम्प्रेषण का अर्थ और परिभाषा
संप्रेषण का अर्थ (Meaning of communication)
संप्रेषण शिक्षा की रीढ़ की हड्डी है। बिना सम्प्रेषण के अधिगम और शिक्षण नहीं हो सकता। संप्रेषण दो शब्दों से मिलकर बना हुआ हैं। सम + प्रेषण अर्थात समान रूप से भेजा गया। संप्रेषण को अंग्रेजी में कम्युनिकेशन कहते हैं। कम्युनिकेशन शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के कम्युनिस शब्द से हुई है। जिसका अर्थ होता है सामान्य बनाना अर्थात संप्रेषण का अर्थ सूचना तथा विचारों का आदान प्रदान करना।
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सम्प्रेषण का अर्थ और परिभाषा(Meaning and definition of communication)

संप्रेषण की परिभाषाएं (Definition of communication)
संप्रेषण की परिभाषा इन निम्नलिखित शिक्षा शास्त्रियों के अनुसार हैं।
ई.जी.मेयर के अनुसार संप्रेषण की परिभाषा
“संप्रेषण से तात्पर्य एक व्यक्ति के विचारों तथा शक्तियों से दूसरे व्यक्तियों को परिचित कराने से है।”
श्रीमती आर. के अनुसार संप्रेषण की परिभाषा
संप्रेषण विचार-विमर्श की वह विद्या है। जिसके माध्यम से व्यक्ति व्यवस्थित व तर्कसम्मत विचार व सम्मति को ग्रहण कर अपना मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं।”
लुईस ए.एलन के अनुसार संप्रेषण की परिभाषा
“संप्रेषण अर्थों का एक पूल है।जिसमें कहने सुनने तथा समझने की व्यवस्थित तथा सतत प्रक्रिया रहती है।”
डॉक्टर कुलश्रेष्ठ के अनुसार
“संप्रेषण एक गत्यात्मक , उद्देश्य पूर्ण प्रक्रिया है।इसमें सूचनाओ तथा विचारो का सम्प्रेषणएवम ग्रहण करना लिखित, मौखिक अथवा संकेतो के माध्यम से होता है।”
संप्रेषण के प्रकार(kinds of communication)
संप्रेषण के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं।
- शाब्दिक संप्रेषण
- अशाब्दिक संप्रेषण
शाब्दिक संप्रेषण –
शाब्दिक संप्रेषण में सदैव भाषा का प्रयोग किया जाता हैं। शाब्दिक संप्रेषण दो प्रकार का होता है।
मौखिक संप्रेषण
लिखित संप्रेषण
मौखिक संप्रेषण –
मौखिक संप्रेषण एक ऐसा संप्रेषण होता है जिसमें हम मौखिक रूप से सूचनाओं का आदान प्रदान करते हैं।इस बीच में संदेश भेजने वाला वह संदेश ग्रहण करने वाला दोनों ही आमने-सामने होते हैं। इसमें टेलीफोन टीवी आदि के द्वारा पाठ के साक्षात्कार पर चर्चा, परीचर्चा कहानी आदि के माध्यम से विचारों की अभिव्यक्ति की जाती है।यह अनौपचारिक होता है।
लिखित संप्रेषण –
लिखित संप्रेषण में व्यक्ति लिख संदेश भेजता है।संदेश भेजने वाला तथा प्राप्त करने वाला दोनों के पास लिखित रूप में रहता है।और खर्च भी कम होता है।लिखित सम्प्रेषण में पत्र व्यवहार, बुलेटिन , गृह पत्रिकाएं,प्रतिवेदन आते हैं।
अशाब्दिक संप्रेषण
अशाब्दिक सम्प्रेषण के अंतर्गत वाणी से ,आंखों से किया जाता है।इसके अंतर्गत निम्नलिखित सम्प्रेषण आते है।
वाणी या ध्वनि संकेत संप्रेषण– इसमें विचारों भावनाओं की अभिव्यक्ति छोटे-छोटे समूह में आमने सामन रहकर वाणी द्वारा रखी जाती है। जैसे कि वार्ता के बीच मे हा, हा या हू, मुह से सिटी बजाना आदि।
स्पर्श करके – स्पर्श के माध्यम से व्यक्ति अपनी भावनाओं एवं विचारों को अभिव्यक्त करने में सफल हो जाता है।हाथ मिलते हैं तो पता चल जाता है।कि दोस्ती का हाथ है या दुश्मनी का मायके स्पर्श का हाथ प्यार कर धोतक होता है।
संप्रेषण के सिद्धांत (principles of communication)
कोई भी व्यक्ति अपने विचारों भावना या किसी संप्रत्यय को किसी दूसरे व्यक्ति से व्यक्त करता है। अतः संप्रेषण द्विपक्षीय प्रक्रिया है। संप्रेषण के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं।
सजगता का सिद्धांत
संप्रेषण कर्ता और संप्रेषण ग्रहण करने वाला व्यक्ति संप्रेषण क्रिया के समय सजग रहते हैं। यदि इस क्रिया में कोई एक व्यक्ति सजग नहीं रहता। तो संप्रेषण क्रिया पूरी नहीं होगी।
योग्यता का सिद्धांत
योग्यता के सिद्धांत के अंतर्गत संप्रेषण करने वाले दोनों व्यक्ति योग्य होने चाहिए। यदि कक्षा में अध्यापक अपने विषय में योग्य नहीं है।तो वह कक्षा में संप्रेषण करते समय उचित भूमिका नहीं निभा सकता है ।
सहभागिता का सिद्धांत
संप्रेषण द्विपक्षीय प्रक्रिया है।अतः संप्रेषण कर्ता और ग्रहण करने वाले दोनों के मध्य सहभागिता होनी चाहिए।जिससे संप्रेषण क्रिया पूरी की जा सकती है।
उचित सामग्री का सिद्धांत
संप्रेषण में सबसे महत्वपूर्ण ध्यान देने वाली बात उचित सामग्री होनी चाहिए। उचित सामग्री ऐसी होनी चाहिए जो संप्रेषण के उद्देश्य, संप्रेषण परिस्थितियों तथा माध्यम से मेल खाती हो।और विद्यार्थियों के स्तर योग्यताओं क्षमताओं तथा संप्रेषण कौशलों को ध्यान रखकर चलती हो।
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संप्रेषण माध्यम का सिद्धांत
संप्रेषण माध्यम जितना अधिक उपयुक्त और सशक्त होगा संप्रेषण धारा का प्रभाव उतना ही उचित रहेगा।
पृष्ठपोषण का सिद्धांत
संप्रेषण प्रक्रिया में पृष्ठ पोषण प्राप्त करना अति आवश्यक है। जिसके माध्यम से हम अपने संप्रेषण को और अधिक प्रभावशाली बना सके ।
सहायक एवं बाधक तत्व का सिद्धांत
संप्रेषण किया में ऐसे तत्व परिस्थितियां कार्य करती है।जो सहायक या बाधक भूमिका निभाने में जुड़ जाते हैं।जैसे शोरगुल, प्रकाश की कमी ,सुनने और देखने में आने वाली कमी आदि।
सम्प्रेषण प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting to communication process)
संप्रेषण प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक या घटक निम्नलिखित हैं।
- छात्र
- शिक्षक के उद्देश्य
- शिक्षक का व्यक्तित्व
- विषय वस्तु का चयन
- पाठ योजना का निर्माण
- उचित शिक्षण विधि एवं सहायक सामग्री
- वैयक्तिक विभिन्नताओ का ध्यान
- कक्षा का वातावरण
- मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य
- सहसंबंध पर आधारित
- सिखाने हेतु प्रेरणा
संप्रेषण की प्रकृति एवं विशेषताएं (Nature and characteristics of communication)
संप्रेषण की प्रकृति एवं विशेषताओं को निम्नलिखित प्रकार से देखा जा सकता है।
- संप्रेषण सदैव एक गत्यात्मक प्रक्रिया है
- संप्रेषण प्रक्रिया में परस्पर अतःक्रिया तथा पृष्ठ पोषण होना आवश्यक होता है।
- संप्रेषण एक मनोवैज्ञानिक तथा सामाजिक प्रणाली है। संप्रेषण सर्वव्यापक है
- संप्रेषण के बिना शिक्षण कार्य असंभव है।
- संप्रेषण उद्देश्य पूर्ण प्रक्रिया है।जो कम से कम दो व्यक्तियों के मध्य होती है।
संप्रेषण की बाधाएं और समस्याएं (Barriers or problems of communication)
संचार प्रक्रिया को अप्रभावी या निरूपित करने वाली बाधाओं को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है।
पर्यावरणीय बाधा
विद्यालय के आसपास व्यवसायिक सिनेमा ,रेडियो या टीवी के कार्यक्रम और अन्य संचार प्रक्रिया होने के कारण विद्यार्थी अपनी कक्षाओं से उपस्थित होकर के बाहर चले जाते हैं।इसी प्रकार विद्यार्थी अपनी पाठ्य पुस्तक की पढ़ने की अपेक्षा उपन्यास और कहानी पढ़ने में अधिक रुचि लेते हैं।
दिवास्वप्न
शिक्षण की संचार प्रक्रिया में अन्य बातों की अपेक्षा दिवास्वप्न भी भ्रामकता उत्पन्न करने वाले होते हैं।यदि कक्षागत संचार प्रक्रिया अरुचिपूर्ण एवं निरस हो।तो विद्यार्थी अपने भूतकालीन या भावी मनोरंजन अनुभव के काल्पनिक विचारों में लीन हो जाता है।
शारीरिक असुविधा
शिक्षण अधिगम की संचार प्रक्रिया में यदि शारीरिक असुविधा हो रही हो तो भी संप्रेषण क्रिया प्रभावित होती है।जैसे- असुविधा पूर्ण बैठने की व्यवस्था ,प्रकाश की व्यवस्था शुद्ध वायु का ना होना।
संप्रेषण के आवश्यक तत्व (elements of communication)
संप्रेषण प्रक्रिया में मुख्य रूप से 9 तत्व होते हैं।
- संप्रेषण संदर्भ( भौतिक संदर्भ ,मनोवैज्ञानिक संदर्भ ,सामाजिक संदर्भ, समय संदर्भ आदि )
- संदेश का स्रोत
- संदेश
- माध्यम
- संकेत या प्रतीक
- इन कोडिंग
- डिकोडिंग
- पृष्ठपोषण
- संदेश ग्रहणकर्ता
संप्रेषण का महत्व(importance of communication)
संप्रेषण प्रशासन का महत्वपूर्ण सिद्धांत है किसी संगठन का कार्य करने के लिए संप्रेषण होना आवश्यक है।यदि संगठन की पूरी जानकारी होगी तो उसमें रुचि होगी।और लगाव भी होगा।शोध कार्य से पता चलता है संगठन का सफल संचालन तभी होता है।जब उसमें काम करने वाले व्यक्ति सहयोग करें। लोकतंत्र की यह पहली आवश्यकता है। कि जनता प्रशासन से अधिक से अधिक मात्रा में जुडे। इसलिए व्यापार तथा शासन दोनों क्षेत्रों में उत्तम संप्रेषण की व्यवस्था होनी चाहिए।
सम्प्रेषण टॉपिक का यूट्यूब वीडियो
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फाइनल वर्ड –
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