पुर्नजागरण किसे कहते है ? विशेषताए और कारण :: मध्यकाल का मानव अंधविश्वास और अज्ञानता का दास था। इस काल में उसने अंधविश्वास और अज्ञानता से मुक्त होकर कला विज्ञान साहित्य एवं संस्कृति के चित्र में नवीन परिवर्तनों की दिशा में प्रयास किए।अतः यह काल पुनर्जागरण के नाम से विख्यात हो गया। इटली देश को पुनर्जागरण की जन्मभूमि के नाम से जाना जाता है।आज हिंदीवानी आपको पुर्नजागरण किसे कहते है ? विशेषताए और कारण की विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा। जिसके अंतर्गत आपको पुर्नजागरण काल की परिभाषा, पुनर्जागरण की विशेषताये, पुनर्जागरण के कारण , पुनर्जागरण का अर्थ , पुनर्जागरण का प्रभाव आदि की जानकारी प्रदान की जॉयेगी। तो आइए शुरू करते है।
पुर्नजागरण किसे कहते है ? विशेषताए और कारण

पुनर्जागरण का अर्थ –
पुनर्जागरण शब्द फ्रांसीसी शब्द रिनेसाँ का हिंदी अनुवाद हैं। पुनर्जागरण का शाब्दिक अर्थ होता हैं- “फिर से जीवित हो जाना” दूसरे शब्दों में हम कहे तो जब परकचलित जीवन परम्पराओ में क्रांतिकारी सुधार होने से समाज की कायापलट हो जाती हैं। तो उसे हम पुनर्जागरण के नामसे जानते है।
पुनर्जागरण की परिभाषायें-
पुनर्जागरण की परिभाषाएं निम्नलिखित हैं।
डेविज के शब्दों में पुनर्जागरण की परिभाषा
” मानव -बुद्धि की धर्म के ठेकेदारों से मुक्त होने की प्रक्रिया का नाम पुनर्जागरण हैं।”
एडगर स्वेन के शब्दों में पुनर्जागरण की परिभाषा
“पुनर्जागरण एक व्यापक शब्द है।जिसका प्रयोग उन सभी बौद्धिक परिवर्तनों के लिए किया जाता है।जो मध्य युग के अंत में तथा आधुनिक युग के प्रारंभ में दिखाई दे रहे थे।”
पुनर्जागरण की विशेषताये –
पुनर्जागरण की विशेषताएं निम्नलिखित हैं।
1.पुनर्जागरण की पहली विशेषता यह है। कि इसमें धार्मिक विश्वास के स्थान पर स्वतंत्र चिंतन को महत्व देकर तर्कशक्ति का विकास किया जाता है।
2.पुनर्जागरण मनुष्य को अंधविश्वास ,रूढ़ियों तथा चर्च के बंधनों से छुटकारा दिलाया जाता है।और उसके व्यक्तित्व का स्वतंत्र रूप से विकास किया जाता है।
3.पुनर्जागरण ने मानवतावादी विचारधारा का विकास की और मानव जीवन को सार्थक बनाने की शिक्षा दी।
4.पुनर्जागरण ने केवल यूनानी और लैटिन भाषाओं के ग्रंथों को ही नहीं वरन देशज भाषाओं के साहित्य के विकास को भी प्रोत्साहित किया।
5.विज्ञान के क्षेत्र में पुनर्जागरण ने निरीक्षण ,अन्वेषण ,जांच तथा परीक्षण को महत्व दिया।
यूरोप में पुनर्जागरण के कारण –
यूरोप में पुनर्जागरण के कारण निम्नलिखित हैं।
- धर्म युद्ध का प्रभाव।
- धर्म के प्रति नवीन मान्यताओं का विकास।
- सामंतवाद का प्रभाव।
- नवीन क्षेत्रों की खोज।
- शिक्षा का बढ़ता हुआ प्रभाव।
- छापेखाने का आविष्कार।
- आविष्कारों का प्रभाव कलाओं का प्रभाव।
पुर्नजागरण का प्रभाव –
पुनर्जागरण का कई क्षेत्रों में बहुत ही अधिक प्रभाव पड़ा। जो कि निम्नलिखित हैं।
आर्थिक दशा और व्यापार में प्रगति – पुनर्जागरण काल के कारण ही यूरोपीय नाविक नए-नए भौगोलिक देशों की खोज में सफल हुए। नए देशों के बाजार तथा कच्चे माल की उपलब्धि के कारण यूरोपीय देशों के व्यापार तथा उद्योग में बहुत अधिक प्रगति हुई।
सामाजिक जीवन मे प्रगति – पुनर्जागरण का नए विचारों ने अंधविश्वासों का अंत करके उन्हें सामाजिक जीवन के प्रति नवीन वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान किया।समाज में सामंतवादी प्रथा समाप्त हो गई।समाज में नए मध्यम वर्ग का उदय होने से लोगों में राष्ट्रीय भावनाओं का तेजी से विकास हुआ। शिक्षा के प्रसार ने भी समाज के नए विचारों को जन्म दिया।
धर्म का प्रभाव – पुनर्जागरण के फलस्वरूप यूरोप के धार्मिक जीवन में भी अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। मध्ययुगीन धार्मिक अंधविश्वास एवं मान्यताओं का खंडन किया जाने लगा।कैथोलिक धर्म में भी पर्याप्त सुधार हुए।
भाषा और साहित्य का प्रभाव – पुनर्जागरण का महत्वपूर्ण प्रभाव भाषा और साहित्य के क्षेत्र पर भी पड़ा।पुस्तकों की छपाई के कारण ज्ञान के प्रसार का कार्य तेजी के साथ हुआ। और लोगों के दृष्टिकोण में तीव्र गति से परिवर्तन आया।
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पुनर्जागरण काल मे नए देशो की खोज –
पुनर्जागरण काल मे कई नए देशो की खोज हुई। जो निम्नलिखित हैं।
- उत्तमाशा अंतरीप की खोज।
- अमेरिका तथा पश्चिमी द्वीप समूह की खोज।
- न्यूफाउंडलैंड तथा लैब्राडोर की खोज।
- भारत के समुद्री मार्ग की खोज।
- ब्राजील की खोज ।
- मेक्सिको तथा पेरु की खोज।
- अफ्रीका महाद्वीप की खोज।
- पृथ्वी की प्रथम परिक्रमा।
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