गणित की प्रकृति ,Nature of mathematics in hindi

गणित की प्रकृति ,Nature of mathematics in hindi :: गणित के शिक्षण शास्त्र को समझने हेतु हमे गणित की प्रकृति को समझना सबसे जरूरी हो जाता हैं। इसीलिए आज hindivaani आपके लिए गणित की प्रकृति ,Nature of mathematics in hindi लेकर आया है। जिसके अंतर्गत आपको Ctet ,uptet गणित शिक्षण शास्त्र नोट्स बनाने में काफी सहायता मिलेगी। तो आइए शुरू करते है। और पढ़तेे हैं – Nature of mathematics in hindi

गणित की प्रकृति , Nature of mathematics in hindi::

गणित की प्रकृति , Nature of mathematics in hindi
गणित की प्रकृति , Nature of mathematics

गणित एक महत्वपूर्ण विषय हैं। जो शिक्षक बनने हेतु बहुत ही जरूरी हैं। गणित सामान्य रूप से एक गणनाओ का विज्ञान हैं। वास्तव में देखा जाए तो गणित का शाब्दिक अर्थ है – वह शास्त्र जिसमे गणनाओ की प्रधानता हो। दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते है। कि गणित -” अंक, अक्षर, चिन्ह आदि सक्षिप्त संकेतो के वह विज्ञान हैं। जिसकी सहायता से परिणाम , दिशा तथा स्थान का बोध होता हैं।

गणित विषय का आरंभ हिंदी के माध्यम से हुआ है आगे चलकर या विस्तार रूप में संख्या पद्धति बन गई है जिसकी सहायता से गणित की अन्य शाखाओं को विकसित किया गया है।

गणित की परिभाषाएं (Definition of mathematics in hindi)

गणित की निम्नलिखित परिभाषाएं हैं ।

गैलीलियो के अनुसार गणित की परिभाषा

” गणित व भाषा है।जिसमें परमेश्वर ने संपूर्ण जगत या ब्रह्मांड को लिख दिया है।”

लॉक के अनुसार गणित की परिभाषा

“गणित वह मार्ग हैं। जिसके द्वारा बच्चों के मन मस्तिष्क में तर्क करने की आदत स्थापित होती है।”

रोजर बेकन के अनुसार गणित की परिभाषा

“गणित सभी विज्ञानों का सिंह द्वार एवं कुंजी है।”

प्रोफेसर बॉस के अनुसार गणित की परिभाषा

“हमारी पूर्ण सभ्यता जो प्रकृति के उपयोग तथा बौद्धिक गहराई पर निर्भर करती है इसकी वास्तविक बुनियाद गणितीय विज्ञान है।”

आक्सपोर्ड के अनुसार

” गणित मापन, मात्रा तथा परिमाण का विज्ञान है।”

बर्ट्रेंड रसेल के अनुसार ,

” गणित एक प्रकार की ऐसा विषय है जिसमें हम यह भी नहीं जानती कि हम किसके बारे में बात कर रहे हैं। और ना ही या जान पाते हैं कि हम जो कह रहे हैं वह सत्य हैं।”

मार्शल ,एच. स्टोन के अनुसार

” गणित ऐसी अमूर्त व्यवस्था का अध्ययन है जो की अमूर्त तत्वों से मिलकर बना है। इन तत्वों को मूर्त रूप में परिभाषित किया गया है।”

गणित की प्रकृति ( Nature of mathematics)

हर विषय का अपना एक उद्देश्य होता है।गणित विषय का भी पढ़ाने का एक उद्देश्य है।साथ ही साथ उनकी संरचना स्थापित की जाती है।जिसके आधार पर उस विषय की प्रकृति निश्चित होती है गणित विषय की प्रकृति विषय का अन्य विषयों की अपेक्षा अधिक मजबूत और शक्तिशाली है। जिसके कारण गरीब अन्य विषयों की तुलना में अधिक स्थाई और महत्वपूर्ण है।गणित विषय की प्रकृति को समझने हो तो निम्नलिखित बिंदुओं को बताया गया है।जो निम्न हैं।

1.गणित के माध्यम से संख्याएं ,स्थान, दिशा तथा मापन या माप तौल का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

2.गणित के ज्ञान का आधार हमारी ज्ञानेंद्रियां हैं।

3.गणित के ज्ञान का आधार निश्चित है ।जिससे उस पर विश्वास किया जा सकता है।

4.गणित के अध्ययन से आगमन निगमन तथा सामान्यीकरण की योग्यता विकसित होती है।

6.गणित की भाषा सुपरीभाषित उपयुक्त तथा स्पष्ट होती है।

8.गणित के ज्ञान से बालकों में प्रशंसात्मक दृष्टिकोण तथा भावना का विकास होता है।गणित से बालकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होता है।

9.गणित के अध्याय से प्रत्येक प्रश्न तथा सूचना स्पष्ट होती है। तथा उसका एक संभावित उत्तर निश्चित होता है।गणित की विभिन्न नियमों सिद्धांतों सूत्र आदि में संदेश संभावना नहीं रहती है।

10.गणित में अमूर्त प्रत्ययों को मूर्त रूप में परिवर्तित किया जाता है।साथ ही उनकी व्याख्या भी की जाती है।

गणित पढ़ाने के तरीके

गणित पढाने के निम्नलिखित तरीके होते है।

अभ्यास कार्य –

1.बच्चों को अभ्यास कार्य के द्वारा भिन्न-भिन्न चुनौतियों का सामना करने और उनसे सीखने को मिलता है। अध्ययनकी हुई बातें लंबे समय तक याद रखी जा सकती हैं।

2.पढ़ाई तुरंत आराम करने वालों के लिए अभ्यास कर काफी लाभप्रद होता है

3.यदि अभ्यास कार्य की रूपरेखा ठीक से नहीं की गई है।तो यह अनुपयोगी साबित हो सकता है।

4. स्वयं अध्ययन हेतु गणित में अभ्यास कर देना बेहतर विकल्प माना जाता है।

गृह कार्य –

1.गृहकार्य पाठ्यक्रम को समय पर समाप्त करने में काफी सहायता प्रदान करता है।

2.माता-पिता बच्चों को शैक्षणिक विकास को जान सकते हैं।

3. गणित में गृह कार्य छात्रों में अध्ययन को बढ़ावा देता है।

4. छात्रों को कक्षा में गणित विषय की जानकारी प्रदान कर घर के लिए कार्य देना गृह कार्य कहा जाता है।

5. गृह कार्य के माध्यम से छात्र जब घर पर खाली रहते हैं तो वह उसका उपयोग बहुत अच्छे से कर सकते हैं।

मौखिक कार्य –

1.कक्षा में शिक्षक और छात्रों के बीच का संवाद मौखिक कार्य के अंतर्गत आता है।

2.छात्रों की समझ को मौखिक कार्य द्वारा आसानी से जांचा जा सकता है।

3. गणित में मौखिक कार्य से छात्रों में सोचने और समझने की क्षमता का विकास होता है।

4. गणित में मौखिक कार्य से छात्रों की लेखन क्षमताओं का असर नहीं हो पाता है।

लेखन कार्य –

1.लेखन कार्य गणित की शुद्धता और मानसिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।

2.इससे लेखन क्षमता और अच्छी लिखावट का विकास होता है।

3. इसके गणित से संबंधित आवश्यक रिकॉर्ड रखे जा सकते हैं।

4. लेखन कार्य एक लंबी प्रक्रिया जो अधिक समय लेता हैं।

तार्किक सोच ::

गणित विषय से तार्किक सोच के विकास में अत्यधिक मदद मिलती है ।पाठ्यक्रम का अन्य कोई भी ऐसा विषय नहीं है ।जिसके माध्यम से छात्र के मस्तिष्क को अधिक क्रियाशील बनाया जा सके। गणित के किसी भी कार्य को करने के लिए मानसिक कार्य की आवश्यकता जरूरी ही पड़ती है।

उदाहरण के रूप में देखें तो जैसे गणित की कोई भी समस्या बालक के सामने आती है।तो वह उसको समझने और उसका समाधान निकालने के लिए मस्तिष्क का प्रयोग करना शुरू कर देता है।

1.गणित के तार्किक मूल्य पर प्रकाश डालते हुए महान शिक्षा शास्त्री प्लूटो ने यह स्पष्ट किया है। कि गणित एक ऐसा विषय है जो मानसिक शक्तियों को प्रशिक्षित करने का अवसर प्रदान करता है। एक सुसुप्त अवस्था में चेतना एवं नवीन जागृति उत्पन्न करने का कौशल गाड़ी थी प्रदान करता है।

2.विश्व में ज्ञान का अथाह भंडार है।और इस ज्ञान भंडार में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो रही है।यह बात अधिक महत्वपूर्ण नहीं है कि ज्ञान की प्राप्त की जाए बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि ज्ञान प्राप्त करने का तरीका सीखा जाए। जिससे प्राप्त किया गया ज्ञान अधिक उपयोगी तथा लाभप्रद सिद्ध हो सके।

3.किसी व्यक्ति के लिए ज्ञान प्राप्त करना तभी उपयोगी हो सकता है। जबकि वह ज्ञान का अपनी आवश्यकता अनुसार उचित उपयोग कर सके किसी ज्ञान का उचित उपयोग करने व्यक्ति को मानसिक शक्तियों पर निर्भर करता है ।इस संदर्भ में प्रोफेसर शलट्ज ने कहा है “कि गणित की शिक्षा प्राथमिक रूप से मानसिक शक्तियों को प्रशिक्षित करने के लिए दी जाती है गणित के विभिन्न तत्वों का ज्ञान देना इसके बाद ही आता है।”

4.इस प्रकार गणित का अध्ययन करने से बच्चों को अपनी सभी मानसिक शक्तियों को विकसित करने का पूर्ण अवसर मिलता है।

5.गणित का अध्यन बच्चों को अपनी निरीक्षण शक्ति, तर्क शक्ति ,स्मरण शक्ति, एकाग्रता ,मौलिकता ,अन्वेषण शक्ति विचार एवं चिंतन शक्ति ,आत्मनिर्भरता तथा कठिन परिश्रम हादसे भी मानसिक शक्तियों को पूर्ण रूप से विकसित करने का अवसर प्रदान करता है।

6.इस संबंध में हब्स ने ठीक यही लिखा है।कि गणित मस्तिष्क को तेज एवं तीव्र बनाने में उसी प्रकार कार्य करता है।जैसे किसी और चीज को तेज करने में काम आने वाला पत्थर।

7.इसके अध्ययन से स्पष्ट तर्क सम्मत एवं क्रमबद्ध रूप से भरी बात सोचने की शक्ति आती है।

फाइनल वर्ड –

आशा हैं कि हमारे द्वारा दी गयी जानकारी गणित की प्रकृति ,Nature of mathematic in hindi की जानकारी आपको काफी पसन्द आयी होगी। यदि आपको गणित की प्रकृति ,Nature of mathematics in hindi की जानकारी आपको पसन्द आयी हो तो इसे अपने दोस्तों से भी जरूर शेयर करे। साथ ही साथ यदि आपको गणित की शिक्षण शास्त्र की नोट्स चाहियें हो। या फिर Math pedagogy pdf notes in hindi चाहिए। हो तो हमे ईमेल कर दे। जिसे हम आपको ईमेल के माध्यम से भेज देंगे। जो आपके लिए काफी सहायक सिद्ध होगा। धन्यवाद

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