बुद्धि परीक्षण और उनके प्रकार

बुद्धि परीक्षण और उनके प्रकार:जब भी वैयक्तिक विभिन्नताओं के मापन का विचार किया जाता है।तो बुद्धि भी उसी संदर्भ में देखी पर की जाती है। प्रत्येक व्यक्ति में बौद्धिक या मानसिक योग्यता भी न होती है। शिक्षा तथा समाज के अन्य क्षेत्रों में बुद्धि मापन को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता रहा है।ctet और uptet में बुुद्धि एक महत्वपूर्ण टॉपिक हैं। को हमे अछे से कर तैैयारी करनी चहिये। आज Hindivaani आपको बुद्धि परीक्षण और उनके प्रकार केे बारेे के जानकारी प्रदान करेगा।

बुद्धि परीक्षण और उनके प्रकार

बुद्धि परीक्षण और उनके प्रकार

बुद्धि की माप बुद्धि परीक्षण के द्वारा की जाती है। बुद्धि परीक्षण के माध्यम से ही एक व्यक्ति की बुद्धि लब्धि नापी जा सकती है।बुद्धि लब्धि का संप्रत्यय टर्मन ने दिया।जबकि जर्मनी के विलियम स्टर्न ने 1912 में इसके विषय में सुझाव रखे थे।

बुद्धि परीक्षण का सूत्र क्या है ?

बुद्धि परीक्षण का सूत्र कुछ इस प्रकार है।

बुद्धि परीक्षण = मानसिक आयु /वास्तविक आयु× 100

टरमैन ने बुद्धि परीक्षण से संबंधित 1916 में एक तालिका भी प्रस्तुत की। जिनमें विभिन्न बुद्धिलब्धि गुणांकों के लिए बालकों का व्यक्तियों की प्रतिशत संख्या भी दी थी।

बुद्धि लब्धि का वितरण
बुद्धि(I.Q)प्रतिशत %वर्ग(Category)
140 से अधिक1प्रतिभाशाली
(Genius)
121-1405प्रखर बुद्धि
(Superior)
111-12014तीव्र बुद्धि
(Above Average)
91-11060सामान्य बुद्धि
(Average)
81-9014मंद
(Feeble minded)
71-805अल्प (Dull)
71 से कम1जड़ ( Idiot)

बुद्धि परीक्षण का इतिहास ( History of intelligence tests) –

बीबी सामंत के अनुसार -भारत के लिए बुद्धि परीक्षाएं कोई नई बात नहीं है। वेद और पुराणों में जहां-तहां में जहां-तहां बुद्धि परीक्षाओं के उल्लेख मिलते हैं।यक्ष और युधिष्ठिर का संवाद बुद्धि परीक्षा का सबसे अच्छा उदाहरण हैं। छात्रों की बुद्धि परीक्षा के लिए जटिल प्रश्नों ,पहेलियों समस्याओं आदि का प्रयोग किया जाता था।

यूरोप में बुद्धि परीक्षा की दिशा में 18वीं शताब्दी में कार्य प्रारंभ किया गया था। सर्वप्रथम भारत के समान वहां भी शारीरिक लक्षणों को बुद्धि के माप का आधार बनाया गया था। इसी प्रकार स्विजरलैंड के प्रसिद्ध वैज्ञानिक लैवेटर ने 1972 में विभिन्न शारीरिक लक्षणों को बुद्धि का आधार आधार घोषित किया था।उस समय से बुद्धि के मापन का कार्य किसी ना किसी रूप में यूरोप में चलता रहा।

1879 में विलियम वुंट ने जर्मनी की लीपजिंग नामक नगर में प्रथम मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला स्थापित करके बुद्धि मापन के कार्य को वैज्ञानिक आधार प्रदान किया। वुंट के कार्य से प्रोत्साहित होकर अन्य वैज्ञानिकों ने भी इस क्षेत्र में कार्य करना प्रारंभ किया।जिनमे से फ्रांस के बिने, इंग्लैंड में विच , जर्मनी में मैनमान , और अमेरिका में थार्नडाइक एवम टरमन हैं।

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मानसिक आयु व बुद्धि लब्धि :-

मानसिक आयु का अर्थ ( Mental age of meaning ) – गेट्स एवम अन्य के अनुसार ,” मानसिक आयु हमें किसी व्यक्ति की बुद्धि परीक्षा के समय बुद्धि परीक्षा द्वारा ज्ञात की जाने वाली सामान्य मानसिक योग्यता के बारे में बताती हैं।”

बुद्धि लब्धि का अर्थ ( Meaning of I.Q ) – बुद्धि लब्धि क्या बताती है कि बालक की मानसिक योग्यता में किस गति से विकास हो रहा है।

बुद्धि परीक्षण के प्रकार ( Kinds of intelligence tests ) –

बुद्धि परीक्षणों को सामान्य रूप से दो भागों में विभाजित किया गया है जो निम्नलिखित है।

  1. वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण।
  2. सामूहिक बुद्धि परीक्षण।

वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण –

यह परीक्षण एक समय में एक एक समय में एक व्यक्ति मैं किया जाता है। इसका आरंभ विने ने किया था। विने द्वारा निर्मित परीक्षण कर संशोधन साइमन ने किया। इसलिए इस परीक्षण को बिने साइमन परीक्षण भी कहा जाता है।

सामूहिक बुद्धि परीक्षण –

यह परीक्षण एक समय में अनेक व्यक्तियों के द्वारा किया जाता है।इसका आरंभ प्रथम विश्वयुद्ध के समय अमेरिका में हुआ था। इसका कारण यह था कि वहां की सरकार मनुष्यों की मानसिक योग्यताओं के अनुसार ही उनको सेना में सैनिकों ,अफसरों और अन्य कर्मचारियों को पदों पर नियुक्त करना चाहती थी।

वैयक्तिक और सामूहिक परीक्षणों के सामान्यतः दो रूप होते हैं।

  1. भाषाआत्मक।
  2. क्रियात्मक।

भाषात्मक परीक्षण – क्रो एंड क्रो के अनुसार इस परीक्षा में भाषा का प्रयोग किया जाता है।और इसके द्वारा अमूर्त बुद्धि की परीक्षा ली जाती है।इसका मुख्य उद्देश्य ज्ञात करना होता है कि व्यक्ति को लिखने पढ़ने का कितना ज्ञान है। उसे प्रश्नों के उत्तर लिखकर उसके सामने गोला या गुना का चिन्ह बना कर या रेखाअंकित करके देने पड़ते हैं।

क्रियात्मक परीक्षण – क्रो एंड क्रो के अनुसार इस परीक्षा का प्रयोग उन व्यक्तियों के लिए किया जाता है।जिनको भाषा का ज्ञान कम होता है।या जो पढ़ना लिखना कम जानते हैं। इसके द्वारा मूर्त बुद्धि की परीक्षा ली जाती है। इस परीक्षा विधि में वास्तविक वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। और परीक्षार्थियों से कुछ समस्या पूर्ण कार्य करने के लिए कहा जाता है।

वैयक्तिक भाषात्मक परीक्षण –

बिने साइमन बुद्धि स्केल ( Binet -Simon intelligence scale ) –

वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण के सर्वप्रथम सफल प्रयास का श्रेय एन्फ्रेड बिने को जाता है।वह पेरिस विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान का प्रोफ़ेसर थे।1890 के लगभग ,उस नगर के प्राथमिक विद्यालयों के प्रबंधकों ने उनसे ऐसे बालकों का पता लगाने के लिए सहायता मांगी।जो मंदबुद्धि थे। ताकि उनको शिक्षा प्रदान करने के लिए विशिष्ट विद्यालयों में भेजा जा सके।

बिने ने इस कार्य में अपने सहयोगी मनोवैज्ञानिक साइमन की सहायता ली। दोनों मनोवैज्ञानिकों ने अनेक परीक्षाओं के बाद 1905 में अपनी परीक्षा विधि प्रकाशित की थी।जिसे साइमन बुद्धिमान क्रम कहा जाता है। उन्होंने इसको 1908 में और फिर 1911 में परिवर्तित और संशोधित करके पूर्ण बनाने का प्रयास किया।

बिने साइमन की बुद्धि परीक्षा 3 से 15 वर्ष तक के बालकों के लिए थे। प्रत्येक वर्ष के बालकों के लिए पांच प्रश्न या कार्य थे।पर 4 वर्ष के बालकों के लिए केवल 4 प्रश्न थे। और 11 एवं 13 वर्ष के बालकों के लिए कोई प्रश्न नहीं थे।इस प्रकार 1911 की स्केल में प्रश्नों की कुल संख्या 54 थी। यह प्रश्न इस प्रकार से बनाए गए थे।कि कम आयु के बालक अधिक आयु वाले बालकों के प्रश्न उत्तर नहीं दे सकते थे।

स्टैन फोर्ड – बिने स्केल ( Stanford – Binet scale ) –

बुद्धि परीक्षण के संदर्भ में लंदन में डॉक्टर सिरिल बर्ट और अमेरिका में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक प्रोफेसर लेविस एम टरमन ने बहुत ही सराहनीय कार्य किया। टरमन ने बिने के मानक्रम के अनेक दोषों को दूर करके 1916 में उसे एक नया रूप प्रदान किया। जो इस स्टैन फोर्ड – बिने मान क्रम के नाम से प्रसिद्ध हुआ। उसने 1973 में और फिर 1960 में अपने सहयोगी मौड़ ए . मैरिल की सहायता से उसे पूर्णतया निर्दोष बना दिया।

यह स्केल 2 से 14 वर्ष के बालकों के लिए है इसमें कुल 90 प्रश्नावली है जो निम्नलिखित हैं।

  • 3 वर्ष से 10 वर्ष तक के बालकों के लिए 6
  • 12 वर्ष तक के बालकों के लिए आठ
  • 14 वर्ष तक के बालकों के लिए 6
  • सामान्य वयस्कों के लिए 6
  • श्रेष्ठ व्यस्को के लिए है 6।
  • अन्य प्रश्नावली या 16 16 ।
  • 11 से 13 वर्ष तक के बालकों के लिए कोई प्रश्न नहीं है।

इन 90 प्रश्नावलिओं में बिने की प्रश्नावली उसे 19 प्रश्न दिए गए गए दिए गए गए हैं।

वैयक्तिक क्रियात्मक परीक्षाएं ( Individual performance tests) –

पोर्टियस भूल भुलैया टेस्ट – यह परीक्षण 3 से 14 वर्ष तक के बालकों के लिए है।भूल भुलैया का निर्माण इस प्रकार से किया जाता है।की आयु की वृद्धि के साथ-साथ या क्रम कठिन होता जाए।जिस बालक की परीक्षा ली जाती है।उसे एक पेंसिल और कागज पर बना हुआ भूल भुलैया का एक चित्र दिया जाता है। बालक को पेंसिल से उसमें से बाहर निकलने का निशान लगाकर मार्ग अंकित करना होता है। ऐसा करने के लिए 3 से 11 वर्ष तक के बालकों के लिए दो अवसर और 12 से 14 वर्ष तक के बालकों के लिए चार अवसर प्रदान किए जाते हैं। यदि वे अपने प्रयास में असफल होते हैं।तो उनकी बुद्धि का विकास उनकी आय के अनुपात से कम समझा जाएगा।

वेशलर बैलयुव टेस्ट – इस परीक्षण का निर्माण 1944 में 10 से 60 वर्ष तक के आयु के व्यक्तियों की बुद्धि परीक्षा लेने हेतु किया गया था। 1955 में इसे संशोधित करके 16 से 64 वर्ष तक के वयस्कों के लिए कर दिया गया। जिसमें विभिन्न आयु के व्यक्तियों के लिए पांच मौखिक और पांच क्रियात्मक परीक्षण अग्र लिखित है।

  • ज्ञान और सूचना संबंधी प्रश्न।
  • गणित के प्रश्न।
  • शब्दावली।
  • चित्र के भागों को तरतीब से लगाकर चित्र को पूरा करना। विभिन्न वस्तुओं के टुकड़े को विधिपूर्वक रखकर उनकी आकृतियों को पूर्ण करना आकृतियों को पूर्ण रखकर उनकी आकृतियों को पूर्ण करना आकृतियों को पूर्ण आकृतियों को पूर्ण करना।

सामूहिक भाषात्मक परीक्षाएं ( Group language tests ) –

आर्मी अल्फा टेस्ट – आर्मी अल्फा टेस्ट का निर्माण सर्वप्रथम अमेरिका में प्रथम विश्व युद्ध के समय किया गया था।इस टेस्ट का प्रयोग सैनिकों और सेना के अन्य कर्मचारियों एवं पदाधिकारियों को चुनाव करने चुनाव करने हेतु किया गया था।इसका प्रयोग केवल शिक्षित मनुष्य के लिए किया जा सकता था। इसकी सामग्री बहुत कुछ स्टैनफोर्ड बिने स्केल की सामग्री से मिलती जुलती है है।

सेना सामान्य वर्गीकरण टेस्ट – इसका निर्माण अमेरिका में द्वितीय विश्व युद्ध के समय सेना के विभिन्न विभागों के लिए सैनिकों का वर्गीकरण करने के लिए किया गया था।इस परीक्षण में सैनिकों के तीन प्रकार की समस्याओं का समाधान करना पड़ता था। शब्दावली, गणित और वस्तु गणना संबंधी समस्याएं।

सामूहिक क्रियात्मक परीक्षाएं – ( Group performance tests ) –

आर्मी बीटा टेस्ट – इस परीक्षण का निर्माण अमेरिका में प्रथम विश्व युद्ध के समय सेना के विभिन्न पदों और विभागों में कार्य करने वाले मरीजों का चुनाव करने के लिए किया गया था।इसका प्रयोग उन मनुष्यों के लिए किया गया था जो अशिक्षित या अंग्रेजी भाषण नहीं जानते थे थे।

शिकागो क्रियात्मक टेस्ट – यह टेस्ट 6 वर्ष की आयु के बालकों से लेकर बहस को तक किया जाता था।यह 13 वर्ष की आयु के बालकों की बुद्धि परीक्षा लेने के लिए विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध हुआ। इसमें निम्नलिखित प्रकार की क्रियाएं हैं। विभिन्न प्रकार के आकृतियों में समानता और असमानता की बातें बताना, चित्र के टुकड़ों टुकड़ों के टुकड़ों टुकड़ों को व्यवस्थित करके पूर्ण करना ,लकड़ी के टुकड़ों की सहायता से गणना करना,अनेक प्रकार की वस्तुओं में से सामान वस्तुओं को छांट कर अलग अलग वर्गों में रखना।

बुद्धि परीक्षाओं की उपयोगिता ( Utility of intelligence tests ) –

बुद्धि परीक्षण की उपयोगिता निम्नलिखित हैं की उपयोगिता निम्नलिखित हैं।

सर्वोत्तम बालक का चुनाव – बुद्धि परीक्षण की सहायता से विद्यालय प्रवेश छात्र वृत्तियों वाद विवाद और इसी प्रकार की अन्य प्रतियोगिताओं के लिए सर्वोत्तम बालको का चुनाव किया जाता हैं।

पिछड़े हुए बालको का चुनाव – बुद्धि परीक्षाओं का प्रयोग करके पिछड़े हुए और मानसिक एवं शारीरिक दोषों वाले बालकों का सरलता से चुनाव किया जा सकता है। चुनाव किए जाने के बाद उनको शिक्षा प्राप्त करने के लिए विशिष्ट विद्यालयों में भेजा जाता है।

अपराधी और समस्यात्मक बालको का सुधार – बुद्धि परीक्षण द्वारा मालूम करने का प्रयास किया जाता है कि बालक अपराधी असंतुलित और समस्यात्मक क्यों है ? ऐसी बुद्धि की कमी के कारण है ? या किसी कारण से। कारण ज्ञात हो जाने पर उनका उपचार करने करने एमपी सुधार किया जा सकता है।

बालको का वर्गीकरण – बुद्धि परीक्षणों के आधार पर कक्षा के बालकों को तीव्र बुद्धि, मंदबुद्धि और साधारण बुद्धि वाले बालकों में विभक्त करके उनको अलग अलग शिक्षा प्रदान किए जाते हैं।इंग्लैंड में बालकों का वर्गीकरण इसी प्रकार से किया जाता है। इसलिए वहां प्रत्येक कक्षा में 3 सेक्शन है

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फाइनल वर्ड –

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