बंडूरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत, Bandura’s theory of social learning

बंडूरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत, Bandura’s theory of social learning :: मनोविज्ञान के महत्वपूर्ण सिद्धान्तों में बंडूरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत, Bandura’s theory of social learning आता हैं। इसीलिए hindivaani आज आपको इस सिद्धान्त से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराएगा। तो आइए शुरू करते है।

बंडूरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत, Bandura’s theory of social learning

Bandura's theory of social learning,बंडूरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत
बंडूरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत, Bandura’s theory of social learning

बंडूरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत, Bandura’s theory of social learning::

बंडूरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत वर्ष 1977 ईस्वी में प्रतिपादित किया गया था।इस सिद्धांत के अंतर्गत बंडूरा शास्त्रीय , स्फूर्त अनुबन्ध के व्यवहारवादी अधिगम सिद्धान्त से सहमत थे। बावजूद इन्होंने महत्वपूर्ण उद्देश्य जोड़े। जो निम्नलिखित हैं।

इस सिद्धांत के अंतर्गत अल्बर्ट बंडूरा ने कहा था कि –

1.मध्यस्थता प्रक्रिया ,उत्तेजना तथा अनुक्रिया के बीच होती है।

2.व्यवहार या आचरण को परिवेश में रखकर सीखा जाता है जो प्रेक्षात्मक अधिगम के अंतर्गत संपन्न होता है।

बंडूरा का सामाजिक अधिगम सिद्धान्त की व्याख्या ::

बंडूरा ने अपने सामाजिक अधिगम के सिद्धांत में बताया। कि बालक जन्म के पश्चात ही अपने माता-पिता परिवार तथा अन्य सदस्य जैसे पड़ोसी अध्यापक आदि के व्यवहारों का अवलोकन करता है। इसके पश्चात वह उसी व्यवहार का अनुकरण करने लगता है। इसे ही बंडूरा ने सामाजिक अधिगम कहा ।इस प्रकार से जब प्राणी समाज के सदस्यों के व्यवहार को देखकर सीखता है।तो उसे सामाजिक अधिगम कहा जाता है।

सामाजिक अधिगम के सिद्धांत के सोपान ::

सामाजिक अधिगम के सिद्धांत के सोपान निम्नलिखित हैं।

  1. व्यवहार को जानना या समझना।
  2. व्यवहार का स्मरण करना ।
  3. स्मरण किए गए व्यवहार को क्रिया रूप में बदलना।
  4. व्यवहार का पुनर्बलन।

बंडूरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत के प्रयोग ::

बंडूरा ने सामाजिक अधिगम सिद्धांत के अंतर्गत दो प्रयोग किया जो निम्नलिखित हैं।

प्रेक्षाणात्मक अधिगम ::

इस सिद्धांतके अंतर्गत बंडूरा ने बताया कि बालक देखकर किसी भी वस्तु का अनुकरण करता है ।इस प्रकार के अधिगम में व्यक्ति सामाजिक व्यवहारों को सीखता है। अतः इसे सामाजिक अधिगम भी कहा जाता है।कभी-कभी हम यह देखते हैं कि हमारे सामने ऐसी परिस्थितियां आ जाती है।कि हमें यह नहीं पता होता कि इस परिस्थिति में हमें क्या करना है।और कैसा व्यवहार करना है।ऐसी परिस्थितियों में हम दूसरे व्यक्तियों द्वारा किए गए व्यवहारों का प्रेक्षण करते हैं।तथा उनकी तरह व्यवहार करते हैं।सामान्यता इस प्रकार के अधिगम को मॉडलिंग कहा जाता है।

बोबो डॉल प्रयोग ::

इस सिद्धांत के अनुसार बच्चों को एक 5 मिनट की फिल्म दिखाई गई।फिल्म के अंदर एक बन्द कमरा था जिसमें बहुत सारे खिलौने रखे थे। उन खिलौनों में एक बड़ा खिलौना था।जो एक गुड्डा था।उस कमरे में एक लड़का प्रवेश करता है।और चारों ओर देखता है। वह बहुत ही क्रोधित रहता है।वह सभी खिलौने को इधर-उधर पटकता है और परंतु वह जो सबसे बड़ा खिलौना होता है।उसके प्रति सबसे ज्यादा आक्रमक होता है।और वह उसे पैरों से हाथों से मारता है।और उसके बाद उसी के ऊपर बैठ जाता है।इन सभी घटनाक्रम के पश्चात तीन अलग रूपो में तीन फिल्मों को तैयार किया गया।

फिर उसको बच्चे के समूह को दिखाया गया। और एक फ़िल्म में दिखाया गया कि आक्रामक व्यवहार करने वाले लड़के को पुरस्कृत किया गया।और एक व्यक्ति ने उसके आक्रामक व्यवहार की प्रशंसा की।दूसरी फिल्म में यह दिखाया गया कि फ़िल्म में बच्चों को दंडित किया गया। इसके बाद तीसरी फिल्म में बच्चों को न तो डाँटा गया और न ही पुरुस्कार दिया गया। इसके बाद उन फिल्मों को बच्चों के कुछ समूहों में दिखाया गया। और बाद में बच्चों को समूह में बना कर रूम मे छोड़ा गया। और यह पाया गया कि बच्चों को फ़िल्म में दिखाया गई आक्रमकता का अनुकरण किया । उसके बाद वैसा ही व्यवहार भी किया।

बंडूरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत का शिक्षण में उपयोग::

बंडूरा का सामाजिक अधिगम सिद्धान्त का शिक्षण में उपयोग निम्नलिखित हैं।

  1. घर में माता-पिता था बडे सदस्यों का व्यवहार अनुकरणीय होना चाहिये।
  2. विद्यालय में अध्यापक का व्यवहार अनुकरणीय होना चाहिए।
  3. कक्षा में शिक्षण अधिगम के लिए उचित वातावरण हो।

आशा हैं कि हमारे द्वारा दी गयी बंडूरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत, Bandura’s theory of social learning की जानकारी आपको बहुत अच्छी लगी होगी। यदि बंडूरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत, Bandura’s theory of social learning आपको पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों में जरूर शेयर करे।

Leave a Comment