शिक्षण का अर्थ और परिभाषा-शिक्षण के एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा शिक्षक अपने ज्ञान को संप्रेषणीय कुशलता के आधार पर अपने विद्यार्थियों को उस ज्ञान से आत्मसात कराता हैं। सरल शब्दों में कहा जाए तो शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे बालक के अंदर उपस्थिति अंतर्निहित शक्तियों को विकसित किया जाता हैं।आज hindivaani आपको शिक्षण की विभिन्न शिक्षणशास्त्रियों के परिभाषा से अवगत कराएंगे।
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शिक्षण का अर्थ और परिभाषा

शिक्षण का अर्थ (Meaning of teaching)
शिक्षण शब्द अंग्रेजी के टीचिंग शब्द का हिंदी रूपांतरण है। जिसका अर्थ है – सीखना।डॉ राधाकृष्णन ने कहा है कि “शिक्षा को मनुष्य और संपूर्ण समाज का निर्माण करना चाहिए इस कार्य को किए बिना शिक्षा आनुविक और अपूर्ण है”
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शिक्षण का संकुचित अर्थ (Narrow meaning of teaching)
शिक्षण के संकुचित अर्थ का आशय है कि एक ऐसा शिक्षण जो निश्चित समय, निश्चित स्थान आदि में प्रदान की जाती है। उदाहरण के रूप में जैसे- विद्यालयीय शिक्षा
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शिक्षण का व्यापक अर्थ (Comprehensive meaning of teaching)
मनुष्य जन्म से लेकर मृत्यु तक जिन चीजों को सीखता है। वह शिक्षण के व्यापक अर्थ के अंतर्गत अति है। शिक्षण का व्यापक अर्थ का तातपर्य है कि औपचारिक और अनौपरिचिक ढंग से बालक जीवन भर जो कुछ भी सीखता है।

शिक्षण की परिभाषाए
बी.ओ.स्मिथ के अनुसार
“शिक्षण अधिगम को उत्प्रेरित करने वाली एक पद्धति हैं”
रायबर्न के अनुसार शिक्षण के परिभाषा
“शिक्षण एक प्रकार के ऐसे सम्बंध हैं , जो बालक को उसकी अंतर्निहित क्षमताओं को विकसित करने में उसकी साहयता करते है”
ए. एल. गेज के अनुसार शिक्षण की परिभाषा
” शिक्षण एक प्रकार का पारस्परिक प्रभाव है, जिसका उद्देश्य दूसरे व्यक्ति के व्यवहारों में वांछित परिवर्तन लाना हैं”
बर्टन के अनुसार शिक्षण की परिभाषा
” शिक्षण अधिगम का उद्दीपन, निर्देशन और प्रोत्साहन हैं”
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शिक्षण के प्रकार
शिक्षण के प्रकार निम्लिखित है-
(1) एकतंत्रात्मक शिक्षण –
एकतंत्रात्मक शिक्षण में शिक्षक का स्थान शिक्षण प्रक्रिया के अंतर्गत प्रधान माना जाता हैं और छात्र का स्थान गौण होता है।
(2) लोकतंत्रात्मक या जनतंत्र शिक्षण-
यह शिक्षण प्रणाली मानवीय संबधो पर आधारित होती है। इस शिक्षण में शिक्षक एवम छात्र एक दूसरे को प्रभावित करने का प्रयत्न करते है
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(3) हस्तक्षेप रहित शिक्षण–
इस प्रकार का शिक्षण करते समय शिक्षक छात्र के साथ मित्रवत व्यवहार करता है।
शिक्षक के तीन चर होते है।
(1)शिक्षक
(2) छात्र
(3) पाठ्यक्रम
शिक्षण की विशेषताएं (Charactestics of teaching)
शिक्षण की विशेषतायें निम्लिखित है।
- शिक्षण सुझावत्मक होना चाहिए ।
- शिक्षण प्रेरणादायक होता है।
- शिक्षण ने सुनियोजित होता है।
- शिक्षण दया एवं सहानुभूति पूर्ण होता है।
- शिक्षण लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बढ़ावा देता है।
शिक्षण की समस्याएं (Problems of teaching)
शिक्षण कार्य करने के दौरान एक अध्यापक के सामने निम्नलिखित समस्याएं आती हैं।
1.वैयक्तिक व सामूहिक शिक्षण विधि की समस्या
2.शिक्षण और जीवन के संबंध की समस्या।
3.सह सम्बन्ध समस्या।
4.शिक्षण के माध्यम की समस्या
5.कक्षा कक्ष में अनुशासन की समस्या।
6.व्यक्ति की भिन्नता की समस्या।
शिक्षण के उद्देश्य(Purpose of teaching)
शिक्षण के उद्देश्य निम्नलिखित हैं।
1.बालक को एक अच्छा नागरिक बनाना ।
2.बालक को क्रियाशील और व संवेदनशीलता को बढ़ाना।
3.बालक में क्रियात्मक पहलू का विकास करना।
4.छात्रों की शिक्षण कार्य में रुचि पैदा करना।
5.छात्रों में आत्मविश्वास को बढ़ाना।
शिक्षण का शिक्षा में योगदान –
शिक्षण का शिक्षा में योगदान निम्नलिखित है।
- शिक्षण नवीन अधिगम पर बल देता है।
- शिक्षण से शिक्षा के अनेक प्रारूप विकसित हुए हैं।
- शिक्षण के द्वारा शैक्षिक लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से निर्धारित किया जाने लगा है।
- शिक्षण की दशा में सुधार करके अनेक शैक्षिक आविष्कार किए जा सकते हैं।
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