वायुमंडल किसे कहते है ? :: पृथ्वी को जो वायु का आवरण चारो ओर से घेरे हुए है। उसे हम वायुमंडल कहते हैम आज hindivaani इसी टॉपिक पर विस्तृत रूप से चर्चा करेगी। इस आर्टिकल के माध्यम से ही हम वायुमण्डल क्या है ? , वायुमण्डल का संघटन , वायुमंडल की संरचना , वायुमंडल को कितनी परतो में विभजित किया गया हैं। आदि विषय मे जानकारी प्राप्त की जाएगी।
वायुमंडल किसे कहते है ?

वायुमंडल क्या है?
वायु का आवरण जो पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए है। वायुमंडल कहलाता है।यह रंगहीन ,गन्धहीन , स्वादहीन तथा संपीड़य है।पर्यावरण के प्रमुख कारकों में वायुमंडल सर्वाधिक गतिशील है।क्योंकि इसमें न केवल ऋत्विक परिवर्तन होता है। वरन अल्पावधि में भी परिवर्तन हो जाता है।वायुमंडल के संपूर्ण द्रव्यमान का 99% भाग भूपृष्ठ से 32 किलोमीटर की ऊंचाई में ही पाया जाता है।इसी भाग में अधिकांश वायुमंडलीय घटनाएं घटित होती हैं।तथा विभिन्न परिवर्तन होते हैं।गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण ही वायुमंडल पृथ्वी के चारों ओर से गिरे हुए हैं।
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वायुमंडल का संघटन –
वायुमंडल की रचना विभिन्न गैसों के मिश्रण से हुई है।इसमें नाइट्रोजन 78.09% ,ऑक्सीजन 20.95%, आर्गन 0.93 % , कार्बन डाइऑक्साइड, हिलियम ,हाइड्रोजन और ओजोन 0.03 % आदि गैस होती हैं। वायुमंडल की निचली परतो में जलवाष्प एवं धूल कण अधिक पाए जाते हैं।जलवाष्प की मात्रा सागरों, महासागरों , झीलों , जलाशयों , मृदा तथा वनस्पति में निहित जल के वाष्पीकरण द्वारा वायुमंडल में विलीन होती रहती है।किसी स्थान विशेष के बारे में जलवाष्प के अधिकतम मात्र 5 वर्ष तक विद्यमान होती है।
वायुमंडल की संरचना –
वायुमंडल की संरचना बहुत जटिल है। वर्तमान में सैकड़ों अंतरिक्ष वैज्ञानिक रेडियो तरंगों, ध्वनि तरंगों तथा उपकरणों की सहायता से इसकी खोज एवं अनुसंधान में लगे रहते हैं। वायुमंडल की संरचना निम्नलिखित चार पर तो द्वारा हुई है।
1.क्षोभमंडल –
वायुमंडल की यह सबसे निचली परत होती है।जिसे अधोमंडल या परिवर्तन मंडल भी कहा जाता है। इस परत में प्रति 165 मीटर की ऊंचाई पर 1 डिग्री सेल्सियस की औसत दर से तापमान घटता जाता है।विषुवतीय प्रदेश में इसकी ऊंचाई 18 किलोमीटर जबकि ध्रुवों पर 8 किलोमीटर है। इसी मंडल में सर्वाधिक वायुमंडलीय घटनाएं घटित होती ह।ैं इसी कारण इस परत का विशेष महत्व है ।जो मंडल की ऊपरी सीमा को क्षोभ सीमा स्तर (ट्रोपोपाज )कहा जाता है।
2.समतापमंडल –
ट्रोपोपाज के ऊपर समताप मंडल पाया जाता हैं। तापमान की समानता पाए जाने के कारण इस परत का नाम समताप मंडल पड़ा है।समताप मंडल की मोटाई 50 से 55 किलोमीटर तक मिलती है यह परत मौसमी घटनाओं से मुक्त रहती है।इसी कारण समताप मंडल के निचले भागों में जेट विमानों के उड़ान भरने के लिए आदर्श दशाएं विद्यमान होती हैं।इसमें ऊंचाई के साथ साथ तापमान में भी वृद्धि होती है।इस मंडल में विद्यमान ओजोन गैस सूर्य की घातक पराबैगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है।समताप मंडल की ऊपरी सीमा को समताप सीमा स्तर ( स्ट्रेटोपाज) कहा जाता है।
3.मध्यमण्डल –
समताप मंडल के ऊपर मध्य मंडल है।इस मंडल की ऊंचाई 90 से 640 किलोमीटर तक पाई जाती है।इस मंडल के ऊपरी भाग में ऊष्मा तथा तापमंडल है।ताप मंडल के निचले भाग तथा मध्य मंडल के ऊपर ही अंतिम सीमा पर आयन मंडल पाया जाता है।इसी मंडल के मध्य में विद्युत आवेशित कण पाए जाते हैं।जिन्हें आयन कहा जाता है।इस परत का सर्वाधिक प्रभाव रेडियो तरंगों पर पड़ता है।यहीं से रेडियो तरंगे भ्रष्ट को परावर्तित हो जाती हैं।इस प्रकार बेतार जैसे संचार उपकरण कार्य करने में समर्थ होते हैं।
4.बाह्यमण्डल –
ऊष्म तथा ताप मंडल के ऊपरी भाग को बाह्यमण्डल कहा जाता है।यह वायुमंडल का सबसे ऊपरी भाग होता हैं। इसकी उचाई 1000 किमी तक मानी जाती हैं। इस परत में हीलियम , हाइड्रोजन , क्रिप्टान, जिनान , जैसी हल्की कैसे पाए जाते हैं अभी तक इस परत के विषय में खोजें अनुसंधान किए जा रहे हैं।
वायुमण्डल पृथ्वी के लिए एक आवरण का कार्य करता हैं। तथा सूर्य की की पराबैंगनी किरणों से पृथ्वी की रक्षा करता है वायुमंडल में उपस्थित ओजोन गैस पृथ्वी के लिए सुरक्षा कवच का कार्य करती है या सूर्य की पराबैंगनी किरणों को अपने में सोख लेता है यदि वायुमंडल में ओजोन ना होती तो सूर्यताप भूतल के प्राणियों को झुलसा देता।
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