महात्मा बुद्ध का जीवन परिचय, Lord buddha in hindi

महात्मा बुद्ध का जीवन परिचय, Lord buddha in hindi:: नमस्कार दोस्तों Hindivaani आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आप लोगों के सामने महात्मा गौतम बुद्ध का जीवन परिचय बताने जा रहे हैं। आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको गौतम बुद्ध का जीवन परिचय उपदेश और अनमोल वचन के बारे में पूरी जानकारी देंगे।

महात्मा बुद्ध का जीवन परिचय

महात्मा बुद्ध का जीवन परिचय
महात्मा बुद्ध का जीवन परिचय

 महात्मा बुध का असली नाम सिद्धार्थ। महात्मा बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। महात्मा बुध का जन्म 563 ईसा पूर्व में हुआ था। महात्मा बुद्ध  के जन्म को लेकर इतिहासकारों में बहुत सारे मतभेद हैं । सबकी इनको जन्म को लेकर अपनी अपनी राय है। कुछ इतिहासकार इनके जन्म को 567 ईसा पूर्व को भी मानते हैं । महात्मा बुद्ध के पिताजी का नाम शुद्धोधन और इनकी माता जी का नाम महादेवी था। महात्मा बुद्ध के पिता जी नेपाल के तराई में एक छोटे से गणराज्य शासक थे जिसकी राजधानी कपिलवस्तु थी। शुद्धोधन की दो रानियां थी जिनमें से एक का नाम  महादेवी और दूसरी का प्रजापति गौतमी था। शुद्धोधन की दोनों पत्नियां आपस में बहने थी जोकि कोलिय गणराज की राजकुमारियां थी। 

गौतम बुद्ध के जन्म को लेकर कुछ प्रचलित कहानियां

कहा जाता है कि महात्मा बुद्ध के जन्म से पहले इनकी  माता महादेवी ने एक विचित्र स्वप्न देखा था। उन्होंने सपनों में देखा कि 16 दांतों वाला सफेद हाथी क्यों अपनी सुर में सफेद  कमल पुष्प ले रखा था और उसके चारों और तीन चक्कर काटकर उसके गर्भ में प्रवेश किया है। और वह स्वप्न में देखती हैं कि इसके बाद वह हाथी उनके गर्भ में प्रवेश करता है। इसके बाद रानी ने इस स्वप्न के बारे में राजा शुद्धोधन को बता देती हैं। राजा ने इस स्वप्न के बारे में अपने राज के ज्योतिषियो से इस सपने के बारे में चर्चा करते हैं। इसके बाद ज्योतिषियों ने यह भविष्यवाणी की थी कि रानी  एक पुत्र को जन्म देंगी जो जो एक चक्रवती सम्राट बनेगा या तो धार्मिक नेता बनेगा।

महात्मा बुध का जन्म  और बाल्यकाल

 कहां जाता है कि जब महात्मा बुद्ध का जन्म निकट आया तो महारानी ने अपने परंपरा के अनुसार राजा शुद्धोधन से अपने मायके जाने की आज्ञा मांगी और शुद्धोधन के इच्छा अनुसार वह अपने साथ कुछ सेविकाओं के साथ अपने राजधानी की ओर प्रस्थान कर दिया। जब महारानी मार्ग में थी तो उन्होंने कुछ देर विश्राम के लिए एक बाग में  ठहरी हुई थी। यहीं पर उन्हें कुछ देर बाद प्रसव पीड़ा शुरू हो गई और उन्होंने सालगिरह पेड़ की नीचे एक सुंदर बालक को जन्म दिया।

जिस दिन महात्मा बुध का जन्म हुआ वह दिन वैशाख पूर्णिमा का दिन था। बताया जाता है कि जिस समय महात्मा बुद्ध ने जन्म लिया था उसी टाइम अनेक देवी-देवताओं ने उन पर फूलों की वर्षा की थी।

 जब महारानी अपने बेटे को लेकर अपनी राजधानी कपिलवस्तु पहुंची तो वहां पर इनके जन्म को लेकर बहुत खुशियां बनाए गए। इसके बाद ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की थी कि यह एक साधारण बालक नहीं है।  ज्योतिषियों ने तभी भविष्यवाणी की थी कि यह बालक एक दिन पूरे संसार का एक महान सम्राट बनेगा या तो फिर एक एक महान धार्मिक नेता। ज्योतिषियों ने इस बालक का नाम सिद्धार्थ रखा था। जो कि बाद में इनको नाम महात्मा बुद्ध पड़ा।

सिद्धार्थ के जन्म के मात्र 7 दिन बाद इनकी माता की दुर्भाग्यवश मृत्यु हो जाती है। इसीलिए सिद्धार्थ का पालन पोषण  इनकी माता की छोटी बहन प्रजापति गौतमी ने किया था। इसीलिए सिद्धार्थ को गौतम के नाम से भी जाना जाता है कुछ लोग इन्हें गौतम बुध भी कहते हैं।

बाल्यावस्था में  महात्मा बुध का पालन पोषण बहुत ही लार प्यार और दुलार से हुआ था। और इनकी शिक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे। महात्मा बुध   छतरी जाति से थे इसलिए मत मा बुध को छतरी शिक्षा देने की पूरी व्यवस्था की गई थी । महात्मा बुद्ध को छतरी शिक्षा के अनुसार महात्मा बुद्ध को हथियार चलाना  और घुड़सवारी हाथी सवारी जैसी शिक्षा सिखाई गई थी । महात्मा बुध बाल्यावस्था से ही एकांत में रहना पसंद करते थे और सिद्धार्थ को बाल वस्ता से ही सांसारिक गतिविधियों में कोई रुचि नहीं थी।

महात्मा बुद्ध बचपन से ही  चिंतनशील और कोमल स्वभाव के थे वह अपना अधिकतर समय एकांत में ही बिताते थे। राजा को देखकर यह बहुत ही ज्यादा महात्मा बुद्ध को लेकर चिंता हुई तो इन्होंने महात्मा बुद्ध के ध्यान को आध्यात्मिक विचारों से हटाना चाहते थे। ताकि उनका पुत्र एक महान सम्राट बन सके इसीलिए महात्मा बुद्ध को भोग विलास के लिए राज महल में उनके लिए यथासंभव प्रबंध किए गए पर इन सभी सुख-सुविधाओं से महात्मा बुध पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

महात्मा बुद्ध का विवाह

 जब महात्मा बुद्ध की उम्र केवल 16 वर्ष की थी तभी उनका विवाह राजकुमारी यशोधरा से कर दिया गया था। कुछ समय बाद महात्मा बुद्ध के  यहां एक पुत्र ने जन्म दिया जिसका नाम राहुल रखा गया।

महात्मा बुद्ध ने त्याग क्यों किया

महात्मा बुद्ध को बचपन से ही सुंदर महलों में रखा गया था और उन्हें कभी भी बहरी संसार को नहीं देखा था।  एक दिन महात्मा बुद्ध को इस संसार को देखने की बड़ी लालसा हुई और उन्होंने अपने एक साथी को लेकर इस संसार को देखने के लिए निकल पड़े। कहा जाता है कि जब महात्मा बुध घूमने के लिए बाहर निकले तो उन्हें ऐसी चार चीजें देखी जो उनको अपने जिंदगी को त्याग करने पर विवश कर दिया। आइए जानते हैं वह कौन सी चार चीजें थी।

1 –  जब महात्मा बुध संसार के भ्रमण के लिए आगे जा रहे थे तो तब उन्होंने देखा कि एक बूढ़ा आदमी पैदल झुका हुआ जा रहा था और उसकी झुकावट उसके बुढ़ापे के कारण थी। यह दृश्य देखकर महात्मा बुध को बहुत ही आश्चर्य हुआ और उन्होंने यह सोचा कि जिंदगी में हर किसी आदमी को एक दिन ना एक दिन बूढ़ा होना पड़ेगा और उसे इन कष्ट को भी सहना पड़ेगा।

2 –  जब महात्मा बुध और आगे बढ़े तो उन्होंने देखा कि एक आदमी बीमारी से ग्रसित एक चारपाई पर लेटा हुआ था और उसे बहुत कष्ट हो रहा था। जब महात्मा बुद्ध ने इसके बारे में अपने साथी से पूछा तो उनके साथी ने बताया कि यह तो जिंदगी का जीवन चक्र है। कभी न कभी किसी को इन बीमारियों से ग्रसित होना पड़ता है।

3 –  जब महात्मा बुध इसके बाद आएंगे और थोड़ा बड़े तो उन्होंने देखा कि एक आदमी के मृत शरीर  की अर्थी को लेकर कुछ लोग जा रहे थे। जब महात्मा बुद्ध ने इसके बारे में अपने सारथी से पूछा तो सारथी ने बताया कि यह जिंदगी का सत्य है कि जो  मनुष्य इस जिंदगी में जन्म लिया है तो उसे एक दिन ना एक दिन मरना ही पड़ेगा।

4 –  महात्मा बुध इसके बाद थोड़ा सा और आगे बढ़े तो उन्होंने देखा कि एक साधु जंगल में बैठे हुए तपस्या कर रहा था। और उस साधु  को देखकर महात्मा बुद्ध को बहुत ही आश्चर्य हुआ क्योंकि उस साधु के चेहरे में कोई चिंता नहीं थी। और उसके चेहरे से यह जान पड़ रहा था कि यह साधु अपनी जिंदगी से बहुत ही खुश है।

 महात्मा बुद्ध ने जब  मानव जीवन के इन विभिन्न  रूप को देखा तो उनका मन बहुत ही विचलित हो गया। और उन्होंने यह जान लिया कि संसार केवल दुखों का घर है। यहीं से महात्मा बुद्ध ने अपना घर  त्यागने का विचार कर लिया। और एक रात महात्मा बुद्ध ने अपनी सोती हुई पत्नी और पुत्र को छोड़कर सत्य की खोज में निकल पड़े। घर त्यागने की शुरुआत उन्होंने अपने वफादार साथी के साथ किया और उन्होंने अपने  सारथी को लेकर अपने राज्य के सीमा पर पहुंचे तो उन्होंने अपने सारथी को कपिलवस्तु लौट जाने की आदेश दिया पर सारथी ने कपिलवस्तु लौटने से इंकार कर दिया और महात्मा बुध से कहा कि उन्हें भी वह अपने साथ रहने की अनुमति दें  पर महात्मा बुद्ध ने अपने सारथी के इस विचार को नकार दिया और उन्होंने सारथी से कहा कि वह मेरे पिताजी को बता दें कि मैंने अपना आगे का जीवन सन्यासी के रूप में व्यतीत करने का निश्चय किया है।जब महात्मा बुद्ध ने सत्य के खोज के लिए अपना घर छोड़ा था उस समय उनकी उम्र केवल 29 वर्ष की थी।

 गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति

 घर को त्याग करने के बाद महात्मा बुध ने सच्चे ज्ञान की खोज चालू कर दी।  इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए महात्मा बुध सबसे पहले मगध की राजधानी राजगृह पहुंचे और वहां पर उन्होंने वहां के प्रसिद्ध  दो विद्वानों से शिक्षा ली। पर महात्मा बुध उनकी शिक्षा से संतुष्ट नहीं हुए और सत्य की खोज के लिए राजगृह को छोड़ दिया। और इसके बाद महात्मा बुध अनेक जंगलों और पहाड़ियों से होते हुए एक  उरुवेला वन में पहुंचे जहां पर उन्हें पांच साधुओं से मुलाकात हुई। और उन महात्माओं ने महात्मा बुद्ध को कठोर तपस्या करने की सलाह दी और महात्मा बुध कठोर तपस्या शुरू कर दी। और लगातार 6 वर्षों तक कठोर तपस्या करने के बाद भी उन्हें वांछित ज्ञान प्राप्त नहीं हो सका और बल्कि  बहुत कमजोर हो गए और उनका शरीर पूरा सुख कर काटा हो गया।

और कुछ दिन बाद महात्मा बुद्ध ने निरंजना नदी के निकट एक पीपल के वृक्ष के नीचे समाधि ले ली और उन्होंने यह प्रतिज्ञा की कि जब तक उन्हें ज्ञान प्राप्त नहीं होगा तब तक वह इस समाधि से नहीं उठेंगे। इसके आठवें दिन  वैशाख के पूर्णिमा के दिन महात्मा बुद्ध को सच्चे ज्ञान की प्राप्ति हुई। जिस समय महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुए उस समय महात्मा बुध की उम्र मात्र 35 वर्ष की थी। और जिस पीपल के वृक्ष के नीचे महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुई उसे महाबोधि वृक्ष नाम  से जाना जाता है और गया को बौद्ध गया कहा जाने लगा।

 बौद्ध धर्म का प्रचार

 जब महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हो गई तो उन्होंने पीड़ित मानवता के उद्धार के लिए अपने ज्ञान का प्रचार करने का विचार किया और उन्होंने यह संकल्प लिया कि वे अपने ज्ञान प्राप्त को पूरे विश्व में इसका प्रचार करेंगे। इसके बाद महात्मा बुद्ध सबसे पहले बनारस के निकट सारनाथ पहुंचे और  वहां पर उन्होंने सबसे पहले अपने पांच साथियों को पहला उपदेश दिया। और यह सभी बाद में महात्मा बुद्ध के अनुयाई बन गए। बहुत से लोग इस घटना को धर्म चक्र प्रवर्तन भी कहते हैं। महात्मा बुध की बहुत ही शीघ्र समय में चारों और फैलने लगा और उनकी धीरे-धीरे अनुयायियों की जनसंख्या बढ़ने लगी। महात्मा बुद्ध ने 45 वर्ष तक दुनिया के अलग अलग स्थानों पर जाकर अपने उद्देश्यों का प्रचार करते रहे।

 महात्मा बुद्ध की मृत्यु

 महात्मा बुद्ध की मृत्यु उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हुई थी। जिस समय महात्मा बुद्ध की मृत्यु हुई उस समय उनकी उम्र 80 वर्ष की थी।

आशा हैं कि हमारे द्वारा दी गयी महात्मा बुद्ध का जीवन परिचय आपको काफी पसंद आया होगा। यदि आपको महात्मा बुद्ध का जीवन परिचय पसन्द आया हो तो इसे अपने दोस्तों से जरूर शेयर करे।

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