ब्लू प्रिंट किसे कहते है? ब्लू प्रिंट का निर्माण कैसे करते है?:: शिक्षक बनने के बाद हमे हमेशा प्रश्न पत्र का निर्माण करने को मिलता हैं। जिसमे हमे पहले उसका बलौर प्रिंट बनाना पड़ता हैं। आज hindivaani आपको ब्लू प्रिंट किसे कहते है? ब्लू प्रिंट का निर्माण कैसे करते है?
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ब्लू प्रिंट किसे कहते है? ब्लू प्रिंट का निर्माण कैसे करते है?

ब्लू प्रिंट किसे कहते हैं?
किसी विषय वस्तु या पाठ्य सामग्री का निर्माण करने से पहले जब हम उस में अंको का विभाजन ,प्राप्त उद्देश्यो के बल का निर्धारण, प्रश्नों की रचना आदि की तैयारी के लिए एक अलग प्रकार से सारणी का निर्माण करते हैं। इसी में प्राप्त उद्देश्यों, पाठ्य सामग्री, प्रश्नों आदि का विवरण दिया होता हैं। इसे ही हम ब्लूप्रिंट के नाम से जानते है।
ब्लू प्रिंट का हिंदी अर्थ
ब्लू प्रिंट को हिंदी में हम नील पत्र के नाम से जानते हैं।ब्लूप्रिंट एक प्रकार से किसी भी विषय वस्तु या पाठ्य वस्तु से संबंधित प्रश्न पत्र का निर्माण करने से पहले उसका प्रारूप तैयार किया जाता है।इसे ही ब्लूप्रिंट कहते हैं।
ब्लू प्रिंट प्रश्न पत्र का निर्माण कैसे करते हैं ?
ब्लूप्रिंट या नील पत्र बनाते समय सबसे महत्वपूर्ण ध्यान रखने योग्य तथ्य है। पाठ्यक्रम का संपूर्ण समावेश प्रश्न पत्र में होना चाहिए। ताकि विद्यार्थी कुछ विशेषतया परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण उपयोगी अध्याय तक ही अपने को सीमित ना कर ले।एवं प्रश्न पत्रों में सभी प्रकार के प्रश्न जैसे निबंधात्मक, लघु उत्तरीय ,अति लघु उत्तरीय ,वस्तुनिष्ठ प्रश्न शामिल किए जाए। ताकि विद्यार्थियों की बुद्धि एवं ज्ञान का उचित आकलन किया जा सके।
ब्लूप्रिंट के उद्देश्य
ब्लूप्रिंट के उद्देश्य निम्नलिखित हैं।
1.ब्लूप्रिंट के निर्माण के पश्चात हम उसके आधार पर एक से अधिक परीक्षाओं के लिए प्रश्न पत्र तैयार कर सकते हैं।
2.ब्लूप्रिंट को मुख्य उद्देश्य होता हैं। कि इससे पाठ्यक्रम का कोई भी अंश छूटता नही है। जिसे छात्र को सम्पूर्ण आध्यय के माध्यम से उसकी बुद्धि और ज्ञान का सही से आकलन हो पाता हैं।
3.ब्लूप्रिंट के माध्यम से छात्रों को अंक वितरण में आसानी होती हैं।
4.ब्लूप्रिंट तैयार करने से छात्रों के स्तर और आयु के अनुरूप ही प्रश्न पत्र का निर्माण होता हैं।
ब्लूप्रिंट निर्माण
ब्लूप्रिंट या नील पत्र का निर्माण करते समय सर्वाधिक महत्वपूर्ण या ध्यान रखने योग्य तथ्य है।बालकों के स्तर के अनुरूप ही प्रश्न पत्र बनाया जाना।बालकों के स्तर तथा आयु का अनुमान लगाने का सर्वोत्तम साधन बालकों की कक्षा है। जिस कक्षा का प्रश्न पत्र बनाना है।उसको आधार मानकर ही विद्यार्थियों के लिए प्रश्न पत्र का निर्माण करना चाहिए।
ब्लूप्रिंट सदैव विषय वस्तु से ही संबंधित करने की कोशिश करनी चाहिए।इधर-उधर के तत्वों को समावेशित नहीं करना चाहिए। क्योंकि विद्यार्थियों को उनके पाठ्यक्रम के अनुसार ही अध्यापकों द्वारा पढ़ाया जाता है। अतः अत्यधिक बाहर की वस्तुएं जोड़ने से विद्यार्थियों पर अतिरिक्त बोझ आ जाता है। व उन्हें सदैव परीक्षा के संबंध में भय बना रहता है।इस कारण से परीक्षार्थी प्रश्नों को सही तरीके से नहीं कर पाते
प्रश्नों के महत्व तथा उसके बौद्धिक स्तर के अनुसार ही प्रश्नों के अंकों का निर्धारण किया जाना चाहिए।निबंधात्मक प्रश्नों को अधिक तथा लघु उत्तरीय प्रश्नों को कम अंक निर्धारित करने चाहिए। ब्लू प्रिंट बनाते समय सबसे महत्वपूर्ण बात है।परीक्षा का समय परीक्षा में समय निश्चित होता है।अतः ब्लू प्रिंट का निर्माण भी समय के अनुसार ही करना चाहिए।
ब्लू प्रिंट निर्माण फ़ोटो –
नीचे हम आपको एक फोटो उपलब्ध करा रहे है। जिसके माध्यम से आपको यह आसानी होगी। कि ब्लू प्रिंट का निर्माण कैसे करते है।

Blue print hindi pdf –
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