बालक का शारीरिक विकास|Physical development of child

बालक का शारीरिक विकास|Physical development of child : आज का hindivaani का टॉपिक हैं। बालक का शारीरिक विकास|Physical development of child। आज हम बालक के शारीरिक विकास के बारे में साभि जानकारी आपको देंगे।

शारीरिक विकास किसे कहते है, शारीरक विकास को प्रभावित करने वाले कारक, pysical development of child in hindi, शारीरिक विकास के चरण, शैशवावस्था में बालक के सिर का भार, लंबाई, वजन

बालक का शारीरिक विकास|Physical development of child

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बालक का शारीरिक विकास जानने से पहले हमें यह जान लेना आवश्यक है।कि शारीरिक विकास होता क्या है?बालक के बाद लंबाई , भार,हड्डियों आदि में होने वाली वृद्धि को हम शारीरिक विकास कहते हैं।

शैशवावस्था में शारीरिक विकास (Physical development in infancy)

शैशवावस्था में शारीरिक विकास निम्नलिखित प्रकार से होता है।

भार– जन्म के समय बालक का भार लगभग 7.15 पाउंड और बालिका का भार लगभग 7.13 पाउंड होता है।तथा दूसरे वर्ष में शिशु का भार केवल आधा पाउंड प्रति माह के हिसाब से बढ़ता है।और 5 वर्ष के अंत में 38 एवं 43 पाउंड के बीच में होता है।

लंबाई– बालक की लंबाई लगभग 20.5 इंच और बालिका की लंबाई 3 इंच होती है।इसकी लंबाई 10 इंच और दूसरे तीसरे चौथे और पांचवें उसकी लंबाई बढ़ती है।

सिर व मस्तिष्क – नवजात शिशु के सिर की लंबाई की उसके शरीर की लंबाई की 1/4 होती है। 350 ग्राम होता है।और शरीर के अनुपात में अधिक होता है।

हड्डिया – नवजात शिशु की हड्डियां छोटी और संख्या में 270 होती हैं।

दांत- छठे माह में शिशु अस्थाई या दूध निकालने आते हैं। 1 वर्ष तक इनकी संख्या 8 हो जाती है।

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बाल्यावस्था में शारीरिक विकास।

बाल्यावस्था में शारीरिक विकास निम्न प्रकार से होता है।

भार– 12 वर्ष के अंत तक बालक का भार 80 और 95 पाउंड के बीच में होता है।

लंबाई – बाल्यावस्था में 6 या 12 वर्ष तक शरीर की लंबाई कम बढ़ती है।इन सब वर्षों में लंबाई लगभग 2 या 3 इंच बढ़ती है।

हड्डियां– इस अवस्था में हड्डियों की संख्या 270 से बढ़कर 350 हो जाती हैं।

दाँत– 12 या 13 वर्ष तक बच्चे के सभी स्थाई दांत निकल आते हैं। जिनकी संख्या लगभग 32 होती है।

किशोरावस्था में शारीरिक विकास

भार- किशोरावस्था में बालकों का भार बालिकाओं से अधिक बढ़ता है।इस अवस्था के अंत में बालकों का भार बालिकाओं से लगभग 25 पाउंड अधिक होता है।

लंबाई– बालक की लंबाई 18 वर्ष तक और उसके बाद भी बढ़ती रहती है।बालिका अपने अधिकतम लंबाई पर लगभग 16 वर्ष की आयु में पहुंच जाती है।

सिर व मस्तिष्क – इस अवस्था में सिर व मस्तिष्क का विकास जारी रहता है।15 या 16 वर्ष की आयु में सिर के पूर्ण विकास हो जाता हैं।

हड्डियां– इस अवस्था मे जो छोटी हड्डिया होती हैं वह एक दूसरे से जुड़ जाती हैं।

दाँत– सभी स्थायी दांत पूर्ण रूप से आ जाते है।

शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक

शरीरिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं।

वंशानुक्रम– माता-पिता के स्वास्थ्य और शारीरिक रचना का बच्चों पर भी प्रभाब पड़ता हैं।यदिवे रोगी और निर्बल है। तो उनके बच्चे भी वैसे ही होंगे।

वातावरण– बालक के शारीरिक विकास में वातावरण का काफी प्रभाव पड़ता हैं। बालक के विकास के कुछ चीजें अति आवश्यक है जैसे – पर्याप्त धूप,शुद्ध वायु,स्वछता।हम अक्सर देखते हैं। बन्द गलियों में रहने वाले बच्चे हमेसा बीमारी से ग्रसित रहते है।

पौष्टिक भोजन– बालक के उत्तम विकास के लिए उसे पौष्टिक भोजन दिया जाना आवश्यक है।

नियमित दिनचर्या- नियमित दिनचर्या उत्तम स्वास्थ्य की आधारशिला है।बालक के खाने ,सोने, पढ़ने आदि का समय निश्चित होना चाहिए।

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