निर्देशन और परामर्श का अर्थ और परिभाषा

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निर्देशन और परामर्श का अर्थ और परिभाषा

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निर्देशन का अर्थ

निर्देशन एक ऐसी प्रक्रिया है।जिसमें एक व्यक्ति के द्वारा दूसरे व्यक्ति की समस्याओं के समाधान से संबंधित चीजों को बताया जाता है।निर्देशन किसी भी समस्या का समाधान स्वयं नहीं करता है।बल्कि वह ऐसी विधियां बताता है।जिनका प्रयोग करके व्यक्तियों समस्याओं का समाधान कर सकता है।

निर्देशन की परिभाषाएं

निर्देशन की परिभाषाएं निम्नलिखित हैं।

आर्थर जे. जोन्स के अनुसार निर्देशन की परिभाषा

“व्यक्तियों को बुद्धिमत्तापूर्वक चुनाव का समायोजन करने में दी जाने वाली सहायता निर्देशन है”

स्किनर के अनुसार निर्देशन की परिभाषा

“निर्देशन नवयुवकों को अपने से दूसरों से और परिस्थितियों से सामंजस्य करना सीखने के लिए सहायता देने की प्रक्रिया हैं।”

निर्देशन के प्रकार

निर्देशन के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं।

  1. व्यक्तिगत निर्देशन ।
  2. शैक्षिक निर्देशन ।
  3. स्वास्थ्य निर्देशन ।
  4. सामाजिक निर्देशन ।
  5. व्यवसायिक निर्देशन।

व्यक्तिगत निर्देशन – यह निर्देशन व्यक्तिगत रूप से होने वाली कठिनाइयों से संबंधित है जैसे – छात्रों को अलग से निर्देशन देना या उनकी समस्याओं को दूर करना।

शैक्षिक निर्देशन – ऐसा निर्देशन जिसमें छात्र किसी भी समस्या का समाधान स्वयं नहीं सुलझा पाते हैं ।वह समस्या को सुलझाने के लिए उन्हें विशेषज्ञ के रूप में मनोवैज्ञानिक की निजी सहायता की आवश्यकता पड़ती है।उसे शैक्षिक निर्देशन कहते हैं।

स्वास्थ्य निर्देशन – छात्रों को स्वस्थ जीवन के संबंध में जानकारी प्रदान करना और अस्वस्थकारी आदतों को छोड़ने के विषय में उचित परामर्श देना स्वास्थ्य निर्देशन कहलाता है।

सामाजिक निर्देशन – कुछ कार्य ऐसे होते है। जिनमें हमे सामाजिक भलाई करने को मिलती हैं। समाज से सम्बंधित विभिन्न प्रकार के पहलुयों को बच्चो को समझना सामाजिक निर्देशन है।

व्यवसायिक निर्देशन – व्यवसायिक निर्देशन के अंतर्गत व्यक्ति की विशेषताएं और उनकी सूझबूझ को देखते हुए। उनके जीवन के निर्वहन हेतु व्यवसायिक चुनाव।और प्रगति से संबंधित समस्याओं को सुलझाने में जिस प्रकार की सहायता प्रदान की जाती है ।उसे व्यवसायिक निर्देशन कहते हैं।

निर्देशन की विधियां ( Methods of guidance)

निर्देशन की विधियां निम्नलिखित हैं।

  1. व्यक्तिगत निर्देशन ।
  2. सामूहिक निर्देशन।

व्यक्तिगत निर्देशन – व्यक्तिगत निर्देशन में एक समय में केवल एक छात्रों को निर्देशन दिया जाता है। महंगी होने के कारण इस विधि का प्रयोग बहुत ही कम किया जाता है।

सामूहिक निर्देशन – सामूहिक निर्देशन के अंतर्गत काफी छात्रों को एक समय में निर्देशन प्रदान किया जाता हैं। सामूहिक निर्देशन में धन और समय की काफी बचत होती है। इस वजह से इस विधि का प्रयोग काफी ज्यादा किया जाता है।

निर्देशन के सोपान ( Steps of guidance)

निर्देशन के सोपान निम्नलिखित है।

  1. साक्षात्कार।(Interview)
  2. प्रश्नावली (Questionnaire)
  3. संचित अभिलेखों का अध्ययन (study of cumulative records)
  4. मनोवैज्ञानिक परीक्षण (psychological test )
  5. अनुस्थापन वार्तालाप ( orientation talks)
  6. परिवारिक दशाओं का अध्ययन।(study of home condition)
  7. पार्श्वचित्र(Profiles)
  8. अनुगामी कार्यक्रम।( Follow up programme)

भारत में निर्देशन की आवश्यकता

भारत में निर्देशन की आवश्यकता के लिए कुप्पूस्वामी ने ठीक ही लिखा है– “निर्देशन की आवश्यकता सभी युगों में रही है।पर आज इस देश में जो दशाएं उत्पन्न हो रहे हैं।उन्होंने इस आवश्यकता को पर्याप्त रूप से बलवती बना दिया है।”इन्हीं सब चीजों को देखते हुए भारत में निर्देशन की आवश्यकता निम्नलिखित है।

  1. बालकों की व्यक्तिगत विभिन्नता में वृद्धि ।
  2. शिक्षा के उद्देश्यों में परिवर्तन।
  3. माध्यमिक शिक्षा का नवीन स्वरूप ।
  4. व्यवसायो का बाहुल्य ।
  5. छात्रों को सामंजस्य में सहायता।

परामर्श का अर्थ

बालकों की समस्याओं के समाधान हेतु किसी भी प्रकार की वैज्ञानिक राय की आवश्यकता होती है। यह वैज्ञानिक राय और सुझाव परामर्श कहलाते हैं।

परामर्श की परिभाषाएं

परामर्श की परिभाषा निम्नलिखित है।

बरनार्ड या फुलमर के अनुसार परामर्श की परिभाषा

” बुनियादी तौर पर परामर्श के अंतर्गत व्यक्ति को समझना और उसके साथ कार्य करना होता है।जिससे उसकी अनन्य आवश्यकताओ ,अभिप्रेरणाओ और क्षमताओं की जानकारी हो।और फिर उसे इनके महत्व को जानने सहायता दी जाए।”

वेबस्टर शब्दकोश के अनुसार परामर्श की परिभाषा

“पूछताछ पारस्परिक तर्क वितर्क या विचारों का पारस्परिक आदान-प्रदान परामर्श कहलाता है।”

परामर्श के प्रकार

परामर्श के निम्नलिखित प्रकार होते हैं।

  1. नैदानिक परामर्श ।
  2. मनोवैज्ञानिक परामर्श ।
  3. छात्र परामर्श ।
  4. धार्मिक परामर्श ।
  5. सामाजिक परामर्श ।
  6. शैक्षिक परामर्श ।
  7. वैवाहिक परामर्श ।
  8. व्यवसायिक परामर्श ।
  9. वैयक्तिक परामर्श ।
  10. सामूहिक परामर्श।

परामर्शदाता किसे कहते हैं?

परामर्शदाता किसी भी क्षेत्र के विशेषज्ञ होते है।इन्हें अंग्रेजी में काउंसलर के नाम से जाना जाता हैं। यह व्यक्तियों की समस्याओं के समाधान संबंधी उपाय देते है।

परामर्शदाता की विशेषताएं

परामर्शदाता की विशेषताएं निम्नलिखित हैं।

  1. उत्सव आधारभूत वृद्धि ।
  2. शैक्षिक योग्यता ।
  3. शिक्षण का अनुभव ।
  4. प्रशिक्षण ।
  5. गहन विशिष्ट जानकारी ।
  6. पारस्परिक संबंध की भावना ।
  7. कार्यानुभव।
  8. स्वास्थ्य एवं बाह्य व्यक्तित्व ।
  9. विशेष वैयक्तिक गुण।
  10. समृद्ध सामान्य ज्ञान।

परामर्श की विधियां

परामर्श की विधियां निम्नलिखित है।

  1. मौन धारण ।
  2. पुनरावृत्ति ।
  3. स्वीकृति ।
  4. स्पष्टीकरण ।
  5. मान्यता ।
  6. सामान्य मार्गदर्शन ।
  7. विश्लेषण ।
  8. विवेचना ।
  9. परित्याग ।
  10. विश्वास।

परामर्श के प्रमुख सिद्धांत

परामर्श के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं।

  1. परामर्श एक प्रकार से शांत एवं एकांत पूर्ण स्थान पर होना चाहिए।
  2. परामर्श देने वाले कक्ष में आवश्यकता से अधिक फर्नीचर ना हो।
  3. कक्षा का वातावरण परामर्शदाता और परामर्श से प्राप्त करने वाले दोनों को शांति और सुविधा प्रदान करने वाला हो।
  4. जिस समय परामर्श दिया जा रहा हो उस समय कक्षा में कोई भी व्यक्ति प्रवेश ना करें।
  5. परामर्श की अवधि 30 या 40 मिनट से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  6. विशेष परिस्थितियों में परंतु इस अवधि को बढ़ाया जा सकता है।

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