कल्पना का अर्थ और परिभाषा, कल्पना के प्रकार

कल्पना का अर्थ और परिभाषा, कल्पना के प्रकार: चिंतन और तर्क के बाद आज hindivaani आपके लिए लेकर आया है।कल्पना टॉपिक। जिसमे आपको कल्पना से सम्बंधित हर एक जानकारी इसी ही आर्टिकल में पता चलेगी। इसके अंतर्गत आपको कल्पना का अर्थ और परिभाषा, कल्पना के प्रकार आदि के बारे में जानकारी मिलेगी।

कल्पना का अर्थ और परिभाषा, कल्पना के प्रकार

कल्पना का अर्थ और परिभाषा,कल्पना के प्रकार,कल्पना का शिक्षा में उपयोगिता
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कल्पना का अर्थ

जब हमारे सामने कोई उद्दीपक उपस्थित नहीं होता है। तो हम उसके प्रति जो विचार अपने मन में करते हैं उसे हम कल्पना कहते हैं।कल्पना में पुराने अनुभवों के नीव पर विचारों के नई इमारत खड़ी की जाती है। यह नई इमारत देश और काल से परे होती है।

कल्पना की परिभाषा

कल्पना की परिभाषा निम्नलिखित मनोवैज्ञानिकों के अनुसार है।

मैकडुगल के अनुसार कल्पना की परिभाषा

“हम कल्पना या कल्पना करने की उचित परिभाषा अप्रत्यक्ष बातों के संबंध में विचार करने के रूप में कर सकते हैं।”

डमविल के अनुसार कल्पना की परिभाषा

“मनोविज्ञान में कल्पना शब्द का प्रयोग सब प्रकार की प्रतिमाओं के निर्माण को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।”

रायबर्न के अनुसार कल्पना की परिभाषा

“कल्पना वह शक्ति है जिसके द्वारा हम अपने प्रतिमाओं का नए प्रकार से प्रयोग करते हैं ।यह हमको अपने पिछले अनुभव को किसी ऐसे वस्तु का निर्माण करने में सहायता देती है।जो पहले कभी नहीं थी।”

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कल्पना के प्रकार

कल्पना के प्रकार निम्नलिखित हैं।

◆मैकडुगल के अनुसार कल्पना के दो प्रकार होते हैं।

मैकडुगल के अनुसार कल्पना के प्रकार

पुनरुत्पाद कल्पना ।
उत्पाद कल्पना।

◆उत्पाद कल्पना दो प्रकार की होती है।
रचनात्मक
सृजनात्मक

ड्रेवर के अनुसार कल्पना दो प्रकार की होती है।

ड्रेवर के अनुसार कल्पना के प्रकार

पुनरुत्पाद कल्पना
उत्पाद कल्पना

●उत्पाद को दो प्रकार के भागों में बांटा गया है।

अदानात्मक
सृजनात्मक

●सृजनात्मक कल्पना को दो भागों में बांटा गया है।
कार्य साधक
सौंदर्यात्मक

●कार्य साधक कल्पना को दो भागों में बांटा गया।

विचारात्मक
क्रियात्मक

●सौंदर्यात्मक कल्पना को दो भागों में बांटा गया है

कलात्मक
मनतरंग

कल्पना की शिक्षा में उपयोगिता

कल्पना की शिक्षा में उपयोगिता निम्नलिखित हैं।

1.कल्पना बालक को उनके अनुभव की सीमा से पार कर सोचने की क्षमता प्रदान करता है।

2.कल्पना बालक को अपने लक्ष्य को केंद्रित कर उसके विषय में चिंतन मनन करके पाने की इच्छा जाहिर करता है।

3.कल्पना बालक को अपनी रचनात्मक शक्ति का विकास करने में योग देती है।

4.भाटिया के अनुसार ” कल्पना बालक को उसके कार्यों का परिणाम बताकर उसका पथ प्रदर्शन करती है”

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