अपसारी और अभिसारी चिंतन में अंतर| Diffrence between divergent and convergent thinking – चिंतन से सम्बंधित हमने आपको आर्टिकल उपलब्ध करा दिया गया। अब बारी आती हैं। अपसारी और अभिसारी चिंतन क्या है। तो आज hindivaani का आर्टिकल होगा। अपसारी और अभिसारी चिंतन में अंतर। या कहे अपसारी चिंतन किसे कहते है? या अभिसारी चिंतन किसे कहते है।
अपसारी और अभिसारी चिंतन में अंतर| Diffrence between divergent and convergent thinking

अपसारी चिंतन (divergent thinking) –
ऐसा चिंतन जिसमें हम किसी भी विषय वस्तु के बारे में भिन्न-भिन्न प्रकार से सोचते हैं।उसे हम अपसारी चिंतन कहते हैं। एक सरल शब्दों में कहा जाए थे।अपसारी चिंतन एक ऐसा चिंतन होता है जिस मैं व्यक्ति एक ही समस्या के समाधान के लिए भिन्न विभिन्न विधियों के द्वारा विचार करता है।
उदाहरण – जैसे ईश्वर एक है। इस विषय पर चर्चा करने पर विभिन्न व्यक्तियों से हमें अलग-अलग प्रकार के विचार मिलेंगे।
और कहा जाए ईश्वर की प्राप्ति के साधन कौन कौन से है। तो हर व्यक्ति के अपने अलग अलग विचार होंगे। तो यह अपसारी चिंतन का उदाहरण होगा।
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अभिसारी चिंतन (Convergent thinking) –
यह एक ऐसा चिंतन होता हैं। जिसमे हम किसी भी विषयवस्तु के प्रति श्रेष्ठ विचार करते है। इसे ही अभिसारी चिंतन कहते है।
जैसे – ईश्वर को प्राप्ति के लिए वैसे तो बहुत से साधन हम परन्तु मनुष्य के अंदर एक विचार आता हैं। भक्ति ही श्रेष्ठ साधन हैं।
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