अधिगम के पठार अर्थ और परिभाषा– uptet और ctet के महत्वपूर्ण नोट्स में हम आज आपके लिए लेकर आये है। अधिगम के पठार टॉपिक। आज hindivaani adhigm ke pathar पर विस्तृत चर्चा करेगा।
अनुक्रम
अधिगम के पठार अर्थ , परिभाषा

अधिगम के पठार का अर्थ
अधिगम पठार जब हम किसी कार्य को सीखते हैं।तो हम उस में लगातार उन्नति नहीं करते हैं।कभी कभी उन्नति कम और कभी ज्यादा होती है।और कुछ समय पश्चात एक ऐसा समय आता है जब उन्नति बिल्कुल रुक जाती है।इस सपाट स्थल को अधिगम का पठार कहते हैं।
अधिगम के पठार की परिभाषाएं
रॉस के अनुसार
” पठार सीखने की प्रक्रिया की प्रमुख विशेषता है।जो इस अवधि को सूचित करते हैं।जब सीखने की क्रिया में कोई उन्नति नहीं होती है।
स्किनर के अनुसार
“पठार क्षैतिज प्रसार है।जिससे सीखने की उन्नति का प्रत्यक्ष बोध हो नहीं होता है।”
रेक्स एवं नाइट के अनुसार
“सीखने में पठार तब आते हैं जब व्यक्ति सीखने की एक अवस्था पर पहुंचकर दूसरी अवस्था में प्रवेश करता है”
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अधिगम पठार के कारण
अधिगम पठार के कारण निम्नलिखित हैं।
- मनो शारीरिक सीमा
- नकारात्मक कारक
- कार्य की जटिलता
- सीखने की अनुचित विधि
- पुरानी आदतों का नया आदतों से संघर्ष
- जटिल कार्य के केवल एक पक्ष पर ध्यान
- अभ्यास का अभाव
- उपयुक्तता न होना।
- आवश्यकता के अनुरूप नहीं
- व्यवधान
- प्रेरणा का अभाव
अधिगम पठार को दूर करने के उपाय
अधिगम पठार को दूर करने के उपाय निम्लिखित हैं।
- सीखने के समय का वितरण
- उत्साह के साथ अधिगम
- पाठ्य सामग्री का संगठन
- शिक्षण विधि में परिवर्तन
- प्रेरणा तथा उद्दीपन
- अच्छी आदतें
- विश्राम